1984 Anti Sikh Riots Case: दिल्ली में 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत अब सजा की घोषणा 25 फरवरी को करेगी। यह मामला 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या से जुड़ा है, जिसमें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 12 फरवरी को उन्हें दोषी ठहराया था। वह पहले से ही दिल्ली कैंट मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
बचाव पक्ष को दलीलें पेश करने का निर्देश
राउज एवेन्यू कोर्ट में जज कावेरी बावेजा ने शुक्रवार (21 फरवरी) को बचाव पक्ष को 2 दिन में लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि हम 25 फरवरी दोपहर 2 बजे के बाद सज्जन कुमार की सजा पर फैसला लेंगे।
पीड़ित पक्ष ने मृत्युदंड की मांग की
वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का 1984 के दंगा पीड़ितों के लिए ऑनलाइन पेश हुए। कोर्ट के समक्ष उन्होंने अपनी लिखित दलीलें पेश कीं और मृत्युदंड की मांग की। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अनिल कुमार शर्मा भी वर्चुअली पेश हुए।
18 फरवरी को सजा पर फैसला टला था
दिल्ली कोर्ट ने बुधवार (12 फरवरी) को सिख दंगा केस में बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 41 साल पुराने मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था। राउज एवेन्यू कोर्ट में 18 फरवरी को सज्जन कुमार की सजा को लेकर बहस होनी थी। सरकारी वकील ने 18 फरवरी को लिखित दलील में फांसी की मांग की थी। सज्जन के वकील ने दलीलें पेश करने के लिए समय मांगा था। इस पर 21 फरवरी तक सुनवाई टाल दी गई थी। शुक्रवार यानी आज सजा पर फैसला होगा।
कौन है सज्जन कुमार?
सज्जन कुमार का जन्म 23 सितंबर 1945 को हुआ। 1977 में सज्जन पहली बार पार्षद बने। इसके बाद सज्जन को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का महासचिव नियुक्त किया गया। 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1991 में फिर लोकसभा के लिए चुने गए। 2004 में सज्जन ने बाहरी दिल्ली सीट से 855,543 वोटों से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। 1984 के सिख दंगों से संबंधित मामले में दोषी ठहराया। आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सज्जन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
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जानिए पूरा मामला
बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में सिर्फ दिल्ली में 2700 लोग मारे गए थे। देशभर में मरने वालों का आंकड़ा 3500 के करीब था। मई 2000 में दंगे की जांच के लिए जीटी नानावती कमीशन का गठन हुआ।
2013 में हाईकोर्ट में की अपील
24 अक्टूबर 2005 को CBI ने नानावती कमीशन की सिफारिश पर केस दर्ज किया। 1 फरवरी 2010 को ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, बलवान खोकर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, किशन खोकर, महा सिंह और संतोष रानी को समन जारी किया। 30 अप्रैल 2013 को कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया। इसके बाद CBI ने मामले में 19 जुलाई 2013 को हाईकोर्ट में अपील की।
2018 में सुनाई उम्रकैद की सजा
हाईकोर्ट ने 22 जुलाई 2013 को सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को सज्जन कुमार को पांच सिखों की हत्या का दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई। तब से सज्जन तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। बलवान खोकर, भागमल और गिरधारी लाल की उम्रकैद की सजा बरकरार रही। महेंद्र यादव और किशन खोकर की सजा बढ़ाकर 10 साल कर दी।
अभियोजन 'गंभीरता से किया जाना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील दायर करने पर दिल्ली पुलिस से सवाल किया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन 'गंभीरता से किया जाना चाहिए, न कि केवल दिखावे के लिए। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि बरी किए गए लोगों के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की जानी चाहिए और ईमानदारी से प्रयास किया जाना चाहिए।