Amit Shah on Hindi Diwas: हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हिंदी भाषा की सुरक्षा और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो देश अपनी भाषा की सुरक्षा नहीं कर पाते, वे अपने इतिहास और संस्कृति से कट जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनकी आने वाली पीढ़ी गुलामी की मानसिकता के साथ जीती है। गृह मंत्री शाह ने 14 सितंबर को राजधानी में चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा के सिद्धांत पर चले
अमित शाह ने अपने संबोधन में 'स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा' के सिद्धांतों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो समाज या देश इन तीनों सिद्धांतों का पालन नहीं करता, वह अपनी भविष्य की पीढ़ी को गुलामी से मुक्त नहीं कर सकता। हिंदी भाषा (Hindi Language) के संरक्षण के बिना देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से संबंध टूट जाता है, और इसके प्रभाव से अगली पीढ़ियां प्रभावित होती हैं।
Home Minister @AmitShah extends greetings on #HindiDiwas today.
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 14, 2024
In a social media post, Mr Shah says all Indian languages are the country’s pride and heritage, and without enriching them, progress is not possible. #हिंदी_दिवस pic.twitter.com/nu2OAwMbvD
नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को अहमियत
गृह मंत्री शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति की सराहना की, जिसमें बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हमें (Mother Tongue) में शिक्षा के महत्व को समझना होगा। मातृभाषा में शिक्षा से बच्चे आसानी से अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं और उनके विकास के लिए यह सबसे उपयुक्त माध्यम है।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता
शाह ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने (Hindi Language) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता दिलाने के लिए हिंदी में भाषण दिए हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के समय से हिंदी की इस यात्रा ने आज 10 से अधिक देशों में दूसरी भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित कर दिया है, और यह अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने की दिशा में बढ़ रही है।
क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की जरूरत
अमित शाह ने हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के संबंध को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, और इनके बीच प्रतिस्पर्धा की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी में लिखे गए साहित्य, लेख या भाषणों का अनुवाद सभी भारतीय भाषाओं में किया जाएगा ताकि भाषाओं के बीच तालमेल बढ़े और ज्ञान का आदान-प्रदान हो सके।
मातृभाषा में शिक्षा से व्यक्तित्व का विकास
गृह मंत्री ने कहा कि बच्चों के विकास में (Primary Education) का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम मातृभाषा होती है। सोचने-समझने, विश्लेषण करने और निर्णय लेने की प्रक्रियाएं मातृभाषा में सबसे आसानी से होती हैं। इसलिए, मोदी सरकार ने मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है ताकि बच्चे बेहतर तरीके से अपनी शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपने व्यक्तित्व का समग्र विकास कर सकें।
समृद्ध संस्कृति से जुड़ना जरूरी
अपने भाषण के अंत में अमित शाह ने कहा कि भाषा हमारी संस्कृति से जुड़े रहने का सबसे सशक्त माध्यम है। हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षण देकर हम अपनी संस्कृति और इतिहास को सजीव रख सकते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करें ताकि अगली पीढ़ी गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से विकसित हो सके।