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Ramlala Ayodhya Hanuman darshan: अयोध्या में स्थापित श्रीराम लला की मूर्ति स्थापित करने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बताया है कि जब वह मूर्ति बना रहे थे तो अक्सर एक बंदर आकर उनके पास बैठ जाया करता था।

Ramlala Ayodhya Hanuman darshan: अयोध्या में रामलला की नई प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होने के बाद कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे लोगों की आस्था इस मंदिर के प्रति बढ़ती जा रही है। मंगलवार को श्रीराम लला के गर्भगृह में एक बंदर जा पहुंचा और दर्शन कर दोबारा लौट गया। श्रीरामजन्मूभि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की है। इस बीच रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज के एक खुलासे से कई नए सवाल पैदा हो गए। अब सवाल उठ रहे हैं  कि क्या इस राम मंदिर को बनवाने में स्वयं रामभक्त हनुमान ने मदद की है? क्या वाकई में हनुमान जी की देखरेख में रामलला की मूर्ति बनी है। 

मूर्ति बनाते वक्त अक्सर आ जाता था एक बंदर
रामलला की मूति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बुधवार को बताया कि जब वह मूर्ति बना रहे थे तो एक बंदर अक्सर उनके पास आ जाया करता था। हर दिन शाम को 4 से 5 बजे के बीच वहां पहुंच जाता। एक बार ठंड बढ़ने पर अरुण ने मूर्ति को तिरपाल से ढ़क दिया। जब अगली शाम बंदर पहुंचा तो खटखटाने लगा। अरुण ने यह बात श्री रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को भी बताई। अरुण ने बताया कि यह सबकुछ देखकर ऐसा लगा कि शायद हनुमान जी भी मूर्ति को देखना चाहते हैं। यह घटना तब हुई थी जब अरुण योगीराज मूर्ति पर नक्काशी का काम रहे थे। करीब सात महीने तक यह काम चला और अरुण सो नहीं पाए। अरुण बताते हैं कि उन्हें सोए में भी भगवान के दर्शन होते थे।

Ramlala Ayodhya Hanuman darshan
तस्वीर उस वक्त है कि जब अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति को अंतिम रूप दिया था।

पांच साल के बच्चे में तलाशना था श्रीराम
अरुण योगीराज ने बताया कि मूर्ति बनाने से पहले वह उधेड़बुन में थे। मन में रह-रह कर सवाल उमड़ते कि किस तरह देश को रामलला के स्दवरूप का र्शन करवाएंगे। एक पांच साल के बच्चे के रूप में प्रभु राम की मूर्ति तराशनी थी। सबसे बड़ी चुनौती थी पांच साल के बच्चे में श्रीराम को तलाश करना। इसके लिए अरुण योगीराज ने पांच साल के बच्चों की जानकारी जुटानी शुरू की। खूब सारा रिसर्च किया और उसके बाद रामलला की प्रतिमा का खांका खींचा। 

Ramlala Ayodhya Hanuman darshan
रामलला की प्रतिमा की यह तस्वीर प्राण प्रतिष्ठा से पहले की है।

कैसे प्रतिमा के चेहरे पर उकेरी मनमोहक मुस्कान
रामलला की प्रतिमा की मनमोहक मुस्कान को तराशने की कहानी भी बेहद रोचक है। अरुण योगीराज ने इसके लिए कई बारीकियों का ध्यान रखा। अरुण योगीराज ने अपने मोबाइल में बच्चों की हजारों फोटो सेव कर रखा था। जब भी मौका मिलता इन बच्चों की तस्वीर देखते। मुस्कुराते वक्त एक बच्चे के चेहरे के हाव भाव क्या होते हैं। मुस्कुराते वक्त ओंठ, नाक और गाल के आकार में क्या बदलाव होता है इन बातों पर गौर किया करते। इन सब चीजों के बारे में गहराई से जानने के लिए बच्चों के स्कूलों का भी दौरा भी किया। 

पत्थर में भाव भरने का था बस एक मौका
अरुण योगीराज ने बताया कि उनके पास पत्थर में भाव भरने का सिर्फ एक मौका था। यह उनके कंधे पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इस प्रतिमा को बनाने के लिए अरुण योगीराज ने तय किया कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा वक्त पत्थरों के साथ बिताना है। एक रूटीन बनाई और उसे फॉलो करना शुरू किया। प्रतिमा के एक-एक हिस्से को उकेरेने के लिए अगले दिन का होमवर्क तैयार रहता। अरुण कहते हैं कि वह तो बस काम कर रहे थे लेकिन रामलला थे जो उनसे यह सब कुछ करवा रहे थे। प्रतिमा को आकार देते वक्त उनके मन में बस इसी तरह के भाव थे। 

Ramlala Ayodhya Hanuman darshan
रामलला की प्रतिमा की यह तस्वीर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होने के बाद की है।

प्रतिमा का चेहरा पहली बार बेटी को दिखाया
अरुण योगीराज ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले प्रतिमा का चेहरा अपनी सात साल की बेटी को दिखाया था। जब अरुण ने अपनी बेटी से पूछा कि प्रतिमा कैसी दिख रही है तो उनकी बेटी ने बताया था कि यह मूर्ति तो बिल्कुल बच्चे जैसी है पापा। जिस समय अरुण मूर्ति को गढ़ रहे थे मन में कई बातें चल रहीं थी। अरुण के मन में लग रहा था कि यह मूर्ति लोगों को पसंद आएगी या नहीं। हालांकि, जब प्राण प्रतिष्ठा हुई और मूर्ति पूरे शृंगार के बाद सामने आई और लोगों ने इसे पसंद किया तो बेहद खुशी हुई। इसके साथ ही अरुण ने बताया कि रामलला की प्रतिमा उनके जीवन की पहली ऐसी मूर्ति है जिसका लोगों ने इतना ज्यादा बेसब्री से इंतजार किया है। अरुण योगीराज ने यह सारी बातें आज तक से एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया। 

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