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Nirmala Sitharaman on Electoral Bond: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि कि अगर बीजेपी की सरकार बनी तो चुनावी बॉन्ड योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। वित्त मंत्री के इस बयान पर कई विपक्षी नेताओं ने बीजेपी पर निशाना साधा है। 

Nirmala Sitharaman on Electoral Bond: लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड(Electoral Bond) को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि कि अगर BJP की सरकार बनी तो चुनावी बॉन्ड योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। हालांकि, इस योजना को दोबारा लागू रने से पहले लोगों से सुझाव मांगा जाएगा। बड़े पैमाने पर लोगों से सुझाव प्राप्त करने के बाद यह योजना फिर से लागू कर दी जाएगी। वित्त मंत्री के इस बयान पर कई विपक्षी नेताओं ने बीजेपी पर निशाना साधा है।(Nirmala Sitharaman vs Congress) 

BJP ने चार लाख करोड़ रुपए की लूट की: जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने निर्मला सीतारमण के बयान को लेकर बीजेपी पर हमला बोला। अपने X हैंडल पर कांग्रेस नेता ने पोस्ट किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फिर से बहाल किया जाएगा। यह वही स्कीम है जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अवैध और असंवैधानिक घोषित कर चुका है। जयराम रमेश ने चार तरीकों का उल्लेख करते हुए लिखा कि बीजेपी ने 4 लाख करोड़ रुपए की लूट की है। अगर यह दोबारा सत्ता में आती है तो ना जाने कितने की और लूट करेगी। 

इस स्कीम में पारदर्शिता का अभाव: कपिल सिब्बल
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने भी सीतारमण के इस बयान को लेकर प्रतिक्रिया दी। कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सम्मान करता हूं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी चुनाव जीत गई तो इलेक्टोरल बॉन्ड को फिर से लाया जाएगा। सीतारमण ने यह भी कहा कि इस योजना को लाने में सरकार ने पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस योजना में पारदर्शिता का अभाव था। बीजेपी के साथ यह समस्या है कि यह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे हैं लेकिन आगे आने वाले चुनाव में उन्हें पैसे की जरूरत होगी। इसलिए वह ऐसी बातें कर रही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने योजना को असंवैधानिक करार दिया था
बता दें कि इसी साल15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। राजनीतिक फंडिंग(Political Funding) के लिए इस्तेमाल की जा रही इस स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि इलेक्टोरल बांड की शर्ताें में दान देने वाले की पहचान गुप्त रखने की बात कही गई है। ऐसा करना असंवैधानिक है। यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इसके साथ ही कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनावी बॉन्ड से जुड़ा सभी ब्यौरा चुनाव आयोग (Election Commission) को सौंपने केा निर्देश दिया था। 

Electoral Bond से BJP को सबसे ज्यादा मिली फंडिंग
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि कॉर्पोरेट फंडिंग(Corporate Funding) राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। इस योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। भाजपा को 2018 के बाद से चुनावी बांड के माध्यम से सबसे अधिक 6337 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी। यह योजना 2017 के बजट में पेश की गई थी। चुनावी बॉन्ड योजना को 2 जनवरी, 2018 को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था। यह भारतीय नागरिकों या कंपनियों को भारतीय स्टेट बैंक की  चुनिंदा शाखाओं से बॉन्ड खरीदने और उन्हें अपने पसंद के राजनीतिक दलों को बॉन्ड्स के जरिए डोनेट करने की अनुमति देता था।

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