LoP Lok Sabha: 18वीं लोकसभा के विशेष सत्र के बीच कांग्रेस ने विपक्ष के नेता का ऐलान कर दिया है। मंगलवार को दिल्ली में हुई इंडिया गुट की बैठक में राहुल गांधी के नाम पर मुहर लगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में एलओपी (LoP) यानी नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए हैं। राहुल गांधी मौजूदा वक्त में कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से सांसद हैं। वे केरल की वायनाड सीट से भी बड़े मार्जिन से चुनाव जीते थे, लेकिन उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी।
सोनिया ने प्रोटेम स्पीकर को सूचित किया
वेणुगोपाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सीपीपी चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता नियुक्त करने के फैसले की जानकारी दी है। अन्य पदाधिकारियों का फैसला बाद में लिया जाएगा।
#WATCH | Congress general secretary KC Venugopal says "Congress MP Rahul Gandhi has been appointed as the LoP in the Lok Sabha.." pic.twitter.com/llhssszwAV
— ANI (@ANI) June 25, 2024
खड़गे के आवास पर हुई इंडिया गुट की मीटिंग
दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गुट के नेताओं की बैठक में राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला लिया गया। इस दौरान एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले, टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हमुनन बेनीवाल उपस्थित थे। शिवसेना (यूबीटी) नेता आनंद दुबे ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। उसने लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतीं और राहुल गांधी ने इसमें अहम भूमिका निभाई। हमें खुशी है कि उन्हें विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है।
लोकसभा को 10 साल बाद मिला नेता प्रतिपक्ष
बता दें कि लोकसभा को 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष मिला है। आखिरी पद यूपीए सरकार के दौरान दिवंगत सुषमा स्वराज के पास था। इसके बाद मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में नेता विपक्ष का पद रिक्त रहा। क्योंकि इस दौरान किसी भी दल के पास लोकसभा की कुल सीटों की 10 फीसदी सीटें नहीं थीं। कांग्रेस 2024 के चुनाव में अकेले 99 सीटें जीती है।
राहुल के लिए कांग्रेस में उठ रही थी मांग
कांग्रेस पार्टी से राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) बनाए जाने की मांग उठ रही थी। 8 जून को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) बैठक में भी पार्टी नेताओं ने राहुल से यह जिम्मेदारी निभाने की अपील की। तब उन्होंने कहा था कि मुझे कुछ दिन सोचने का वक्त दीजिए।
जानिए आखिर लोकसभा और सरकार के फैसलों में एलओपी की क्या भूमिका होती है? किस पार्टी से चुना जाता है नेता प्रतिपक्ष? इस पद पर रहने वाले नेता को क्या सुविधाएं मिलती हैं?
1) क्या नेता प्रतिपक्ष या LoP संवैधानिक पद है?
नहीं, यह विपक्ष का नेता या नेता प्रतिपक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है। इसे आधिकारिक तौर पर "विपक्ष के नेता का वेतन और भत्ता अधिनियम, 1977" के तहत मान्यता दी गई है।
2) किस पार्टी से कौन बन सकता है नेता प्रतिपक्ष?
चुनाव (लोकसभा/विधानसभा) में विपक्षी के सबसे बड़े दल को नेता प्रतिपक्ष पद मिलता है। लेकिन इसके लिए कुल सीटों की कम से कम 10% सीटें मिली हों। विपक्षी पार्टी या गठबंधन तय करता है कि किसे यह जिम्मेदारी सौंपनी है। अगर विपक्ष के किसी भी दल के पास कुल सीटों का 10% नहीं है, तो उस स्थिति में सदन में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं हो सकता है।
3) नेता प्रतिपक्ष की क्या होती है भूमिका?
लोकसभा के सुचारू संचालन और सरकार के कामकाज पर बारीकी से नजर रखता है और देशहित में जनता के मुद्दों को उठाता है। लोकतंत्र की खूबसूरती के लिए यह पद काफी अहम है। नेता प्रतिपक्ष संसद में विपक्ष का नेता होता है।
4) विपक्ष के नेता को क्या मिलती हैं सुविधाएं?
लोकसभा/राज्यसभा/विधानसभाओं के नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के समान वेतन और भत्ते के साथ आधिकारिक मान्यता दी गई है। कई संसदीय समितियों और नियुक्तियों में एलओपी शामिल होते हैं और उनकी राय अहम मानी जाती है।
5) नेता विपक्ष के लिए कब तय हुआ था नियम?
1952 में हुए देश में पहले आम चुनाव के बाद पहली बार लोकसभा का गठन हुआ। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष के लिए 10% सीटें मिलने का नियम बना था। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी. वी. मावलंकर ने यह नियम तय किया था। फिर 1977 में नेता प्रतिपक्ष वेतन भत्ता कानून बनाया गया था।