Delhi CM Arvind Kejriwal in Tihar Jail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईडी की रिमांड सोमवार को खत्म हो गई। दिल्ली की पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद सोमवार शाम केजरीवाल को तिहाड़ जेल पहुंचा दिया गया। उन्हें तिहाड़ के जेल नंबर 2 में रखा जाएगा। अब सवाल उठता है कि तिहाड़ पहुंचने के बाद क्या वह जेल से सरकार चलाएंगे या फिर सत्ता की कमान AAP कार्यकर्ताओं के बीच सुनीता भाभी के नाम से लोकप्रिय सुनीता भाभी चलाएंगे। आइए जानते क्या हैं इससे जुड़े नियम और कानून।
क्या जेल से सरकार चला सकते हैं केजरीवाल?
इसका जवाब है हां, देश के कानून के मुताबिक, अगर केजरीवाल चाहें तो जेल से भी सरकार चला सकते हैं। परिस्थितियों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर, एक मुख्यमंत्री जेल में रहते हुए और कानूनी कार्यवाही का सामना करते हुए भी पद पर बना रह सकता है। हालांकि, उसे अपने मुख्यमंत्री पद से जुड़े सभी दायित्वों का निवर्हन जेल मैन्युअल के नियमों का पालन करते हुए करना होगा। ऐसे में इन नियमों का पालन करते हुए सरकार चलाना बेहद मुश्किल काम होगा।
जेल की किन पाबंदियों से नहीं बने रह सकेंगे पद पर
लोगों से व्यक्तिगत तौर पर मिलने-जुलने पर, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने पर पाबंदी होगी। तिहाड़ जेल में मुलाकातियों के लिए कड़े नियम हैं। किसी भी कैदी को बाहर से आने वाले किसी शख्स से व्यक्तिगत मुलाकात करने की इजाजत नहीं होती। मुलाकातियों और कैदियों के बीच एक शीशे की दीवार होती है। मोबाइल फोन, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल नहीं हो सकता। यही वजह है कि केजरीवाल चाह कर भी मुख्यमंत्री पद पर बने नहीं रह पाएंगे।
क्या केजरीवाल अपनी पत्नी को ट्रांसफर कर सकते हैं सीएम पोस्ट?
नियमों के अनुसार केजरीवाल सीधे अपना पद अपनी पत्नी को नहीं सौंप सकते। इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद अगर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को अगर AAP विधायक दल का नेता चुन लिया जाता है, तो वह मुख्यमंत्री बन सकती हैं। इसमें एक बड़ी अड़चन यह है कि सुनीता एमएलए नहीं है। ऐसे में पद ग्रहण करने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना होगा। उन्हें उप चुनाव लड़कर उसमें जीत हासिल करनी होगी। इस छह महीने के समय सीमा में अगर राज्यपाल चाहें तो उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कुछ और राहत दे सकते हैं।
क्या होता है जब कोई मुख्यमंत्री गिरफ्तार किया जाता है।
यदि किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाता है या जेल में डाल दिया जाता है, तो उन्हें सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामों को पूरा करने के लिए अपनी जिम्मेदारियां किसी उप मुख्यमंत्री को या किसी अन्य नामित अधिकारी को सौंपनी पड़ सकती है। इसके साथ ही उसे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने, सरकारी अधिकारियों के साथ संवाद करने और जनता के साथ बातचीत करने के लिए भी वैसी छूट नहीं दी जा सकती जैसा कि जेल से बाहर रहने वाले किसी मुख्यमंत्री को मिलती है। ऐसे में यह क्लियर है कि अगर सीएम अरेस्ट हो जाए और उसने अपनी जिम्मेदारियां दूसरे को नहीं सौंपी है तो सरकार का कामकाज प्रभावित होगा।
क्या केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है?
नहीं, फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए है कि केजरीवाल के खिलाफ अभी सिर्फ आरोप लगे हैं। मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। हालांकि, अगर केजरीवाल के खिलाफ दोष सिद्ध हो जाता है तो वह अपने पद पर नहीं बने रह सकेंगे। यदि किसी मुख्यमंत्री को किसी आपराधिक अपराध का दोषी ठहराया जाता है और जेल की सजा सुनाई जाती है, तो उसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के अनुसार सरकारी पद संभालने से अयोग्य ठहराया जा सकता है। ऐसे सजायफ्ता लोकसभा या विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं।