पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए तेजी से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार जहां इस आंदोलन को शांत कराना चाहती है, वहीं विपक्ष इसे हवा देने में जुट गई है। यही कारण है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। पंजाब और हरियाणा कांग्रेस के कई नेताओं ने तो यहां तक स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसानों को हमारी जरूरत पड़ी, तो हम भी सड़कों पर उतरकर दिल्ली कूच करेंगे। चूंकि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, लिहाजा सवाल उठता है कि हरियाणा और पंजाब में किस दल को किसानों का साथ मिलेगा। यह बताने से पहले बताते हैं कि हरियाणा और पंजाब के बड़े नेताओं ने किसान आंदोलन को लेकर क्या प्रतिक्रिया दी है।
भूपेंद्र हुड्डा बोले- केंद्र को किसानों से सहमत होना चाहिए
हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि केंद्र को किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए। किसानों के दिल्ली कूच पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ बात करके उनकी मांगों पर चर्चा करनी चाहिए। किसान जो भी मांग कर रहे हैं, उस पर सहमत होना चाहिए। वहीं, भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी किसानों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के साथ हुए समझौते का पालन करना चाहिए। किसान एमएसपी की मांग कर रहे हैं, जो कि वैध है।
#WATCH | On farmers' march, former Haryana CM and Congress leader Bhupinder Singh Hooda says "As far as demands of the farmers are concerned, the central Govt should immediately have discussions with the farmers and agree to what they are saying..." pic.twitter.com/5mueuR0azC
— ANI (@ANI) February 13, 2024
#WATCH | Bahadurgarh, Haryana: On farmers' march, Congress MP Deepender Hooda says, "The govt should abide by the agreement it had with the farmers. The MSP demand of the farmers is valid..." pic.twitter.com/dOtKbr9QTr
— ANI (@ANI) February 13, 2024
आप के अनुराग ढांडा ने भी किसानों का किया समर्थन
हरियाणा से आम आदमी पार्टी के नेता अनुराग ढांडा ने भी किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प का वीडियो शेयर करके एक्स पर लिखा कि पुलिस आसू गैस का इस्तेमाल तब करती है, जब हालात काबू से बाहर हों, लेकिन शंभू बार्डर पर बीजेपी सरकार की पुलिस ने किसानों को देखते ही आंसू गैस के गोले दाग दिए।' उन्होंने सवाल पूछा कि किसानों के लिए इतनी नफरत क्यों है बीजेपी वालों?
भगवंत मान की सरकार भी किसानों के साथ
भगवंत मान की अगुआई वाली पंजाब सरकार भी किसानों के साथ है। आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि एक तरफ केंद्रीय तानाशाह और किसान विरोधी बीजेपी सरकार किसानों को रोकने के लिए पुलिस से बैरिकेडिंग करा रही है और सड़कों पर पत्थर बिछा रही है। भगवंत मान की सरकार प्रदर्शनकारी किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा रही है। आप सरकार किसानों की सरकार है।'
ਇੱਕ ਪਾਸੇ ਕੇਂਦਰ ਦੀ ਤਾਨਾਸ਼ਾਹ ਤੇ ਕਿਸਾਨ ਵਿਰੋਧੀ @BJP4India ਸਰਕਾਰ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਪੁਲਿਸ ਤੋਂ ਬੈਰੀਕੇਡ ਲਵਾ ਰਹੀ ਹੈ ਕੇ ਸੜਕਾਂ ‘ਤੇ ਕਿੱਲ ਗੱਡ ਰਹੀ ਹੈ@BhagwantMann ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਧਰਨਾਕਾਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਵੀ ਰੋਕ ਨਹੀਂ ਲਗਾਈ ਜਾ ਰਹੀ
— AAP Punjab (@AAPPunjab) February 13, 2024
‘ਆਪ’ ਸਰਕਾਰ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਸਰਕਾਰ pic.twitter.com/fUpMUx1uUJ
लोकसभा चुनाव पर असर पड़ेगा?
लोकसभा चुनाव को केवल कुछ समय बचा है। यही कारण है कि केंद्र की मोदी सरकार ने पहले दिन से ही किसानों को मनाने का प्रयास शुरू कर दिया था। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की दो बार बैठक हुई, लेकिन बेनतीजा रही। आखिरी बैठक 12 फरवरी को चंडीगढ़ में हुई थी। चूंकि केंद्रीय मंत्री किसानों को नहीं मना पाए, लिहाजा किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया है। जानकार बताते हैं कि किसान आंदोलन अगर शांत हो जाए, तो भी लोकसभा चुनाव पर इसका असर पड़ना तय है। विशेषकर पंजाब में बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पंजाब लोकसभा चुनाव पर कितना पड़ेगा असर
पंजाब में 13 लोकसभा सीटे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8, बीजेपी को 2, शिअद को 2 और आम आदमी पार्टी को एक सीट मिली थी। बीजेपी और शिअद ने मिलकर चुनाव लड़ा था। सितंबर 2020 में शिअद ने ढाई दशक पुराना गठबंधन तोड़ लिया था, लेकिन अब फिर से शिअद और बीजेपी में गठबंधन की बातें सामने आ रही हैं। बावजूद इसके बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ सकता है क्योंकि आम आदमी पार्टी पंजाब में मजबूत हुई है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ना चाहती है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी किसानों का खुलकर समर्थन कर रही है।
हरियाणा लोकसभा चुनाव पर कितना पड़ेगा असर
हरियाणा में कुल 10 लोकसभा सीटे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटें बीजेपी ने जीती थी। हरियाणा कांग्रेस जहां सत्ता पर दोबारा काबिज होना चाहती है, तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी ऐलान किया था कि सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। जानकारों का कहना है कि पिछले किसान आंदोलन में हरियाणा के किसान भारी संख्या में शामिल हुए थे। इस बार संख्या कम है, लेकिन यहां भी लोकसभा चुनाव पर असर पड़ सकता है। हालांकि कांग्रेस की मौजूदा हालत देखकर लगता नहीं कि बीजेपी को टक्कर दे पाएगी।