Hemant Soren Bail: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाला मामले में बड़ी राहत मिली। शुक्रवार (28 जून) को झारखंड हाईकोर्ट ने कथित जमीन घोटाले हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री 5 महीने बाद जेल से बाहर आए। हेमंत को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जनवरी में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि सोरेन ने फर्जी लेनदेन और जाली दस्तावेजों के जरिए कई करोड़ रुपये की जमीन हड़पने की योजना चलाई थी।
जेल से छूटकर क्या बोले हेमंत सोरेन?
जमानत पर रिहा होने पर झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- 5 महीने बाद मैं कानूनी तौर पर जेल से बाहर आया हूं। पिछले 5 महीने झारखंड के लिए चिंताजनक रहे हैं। पूरा देश जानता है कि मैं क्यों जेल गया। आज देश में राजनेता, पत्रकार, लेखक, कलाकार सभी की आवाज दबाई जा रही है।
#WATCH | After being released on bail, former Jharkhand CM Hemant Soren, "After 5 months, I have come out of jail legally. The last 5 months remained worrisome for Jharkhand. The whole country knows why I went to jail..." pic.twitter.com/D3IouY7lKW
— ANI (@ANI) June 28, 2024
जनवरी में दिया था इस्तीफा
हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, ठीक उसी दिन जब ईडी ने उन्हें लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की सूचना दी थी। सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दिया ताकि वे पहले से बैठे मुख्यमंत्री के रूप में गिरफ्तार होने से बच सकें। हेमंत सोरेन पर रांची में 8.86 एकड़ जमीन को अवैध रूप से हड़पने का आरोप है। ईडी का दावा है कि सोरेन ने रिकॉर्ड में हेरफेर कर फर्जी लेनदेन और जाली दस्तावेजों का उपयोग करके यह जमीन अपने नाम पर की थी।
ईडी ने लगाया है जमीन हड़पने का आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची में 31 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। ईडी ने विशेष पीएमएलए कोर्ट से इस साल अप्रैल में कहा था कि हेमंत सोरेन ने 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया था। अपने आरोपों को साबित करने के लिए ईडी ने कोर्ट में फ्रीज और एक स्मार्ट टीवी का बिल पेश किया। एजेंसी ने यह बिल रांची के दो डीलराें से हासिल किया था और उन्हें इस मामले की चार्जशीट में जोड़ा था। इस मामले पर रांची के पीएमएलए कोर्ट के जज राजीव रंजन ने सुनवाई की थी।
हेमंत सोरेन के दावों का किया था खंडन
हेमंत सोरेन के सरकारी आवास पर इस साल 31 जनवरी को ईडी अधिकारियों की टीम ने छापेमारी की थी। करीब 10 घंटे तक पूछताछ और जांच के बाद ईडी अफसरों ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी के अफसरों ने कोर्ट को बताया कि जिस फ्रीज और टीवी का बिल चार्जशीट में अटैच किया गया है वह दोनों संतोष मुंडा के परिवार के लोगों के नाम पर खरीदे गए थे। संतोष मुंडा ने जांच अधिकारियों को बताया कि यह संपत्ति हेमंत सोरेने की है, और वह इसकी देखभाल कर रहा है। जबकि हेमंत सोरेन ने कहा था कि उनका इस जमीन से कोई लेना देना नहीं है। हेमंत सोरेन के दावों को गलत बताने के लिए अफसरों ने कोर्ट में संतोष मुंडा का बयान पेश किया।
राजकुमार पाहन को बताया सोरेन का मददगार
इस सरकारी जमीन पर दावेदारी पेश करने वाले राजकुमार पाहन को जांच एजेंसी ने हेमंत सोरेन का मुखौटा करा दिया। ईडी ने कोर्ट को बताया कि बीते साल अगस्त में सोरेन को इस मामले में पहला समन जारी किया गया था। इसके कुछ ही दिन बाद पाहन ने जमीन पर दावेदारी पेश की थी। पाहन ने रांची के उपायुक्त को चिट्ठी लिखी थी। दावा किया था कि वह खुद और कुछ अन्य लोग इस जमीन के असली मालिक हैं। इसलिए दूसरे लोगों के नाम पर पहल हुए म्यूटेशन रद्द कर दिया जाए और मेरी संपत्ति मुझे वापस दिलाई जाए। ईडी ने राज्य सरकार पर सोरेन की गिरफ्तारी से ठीक पहले संपत्ति पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए पाहन को जमीन आवंटित करने का आरोप लगाया है। ईडी के दावों के अनुसार, इस कदम ने कथित तौर पर झामुमो नेता के लिए निर्बाध कब्ज़ा सुनिश्चित किया।
'भुइंहारी' संपत्तियों का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं होता
ईडी के अनुसार, विचाराधीन भूमि मूल रूप से 'भुइंहारी' संपत्ति के रूप में जानी जाने वाली श्रेणी की थी, जिसे सामान्य परिस्थितियों में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। इसका स्वामित्व 'मुंडा' और 'पाहन' के पास था। एजेंसी का आरोप है कि मूल आवंटियों द्वारा दूसरों को बेच दिए जाने के बाद सोरेन ने 2010-11 में जमीन पर कब्जा कर लिया। ईडी के मुताबिक, संतोष मुंडा ने सोरेन के निर्देशों के तहत संपत्ति के देखभालकर्ता के रूप में काम किया। मुंडा ने बताया कि सोरेन और उनकी पत्नी ने कई बार जमीन का दौरा किया। मुंडा ने जमीन की चारदीवारी के निर्माण के दौरान एक मजदूर के रूप में भी काम किया।