India Launches 4th nuclear Submarine:भारत ने 16 अक्टूबर को अपनी चौथी परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) लॉन्च की, जिससे देश की समुद्री सुरक्षा और परमाणु रक्षा प्रणाली और मजबूत हो गई है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब भारत कूटनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, और अपनी समुद्री सीमाओं पर दबदबा बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहा है।
परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े में नई पनडुब्बी की एंट्री
भारत ने 16 अक्टूबर को विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) से अपनी चौथी परमाणु मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) लॉन्च की। इसे S4 कोड नाम दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 29 अगस्त, 2024 को दूसरी SSBN पनडुब्बी INS अरिघात को कमीशन किया गया था, जबकि INS अरिधमान, तीसरी SSBN, अगले साल कमीशन की जाएगी। इससे भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी।
75% स्वदेशी कंपोनेंट वाली SSBN S4 पनडुब्बी
S4 SSBN पनडुब्बी को बनाने में लगभग 75% स्वदेशी कंपानेंट का इस्तेमाल किया गया है। यह भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह पनडुब्बी 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है, जो वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम से दागी जा सकती हैं। इससे भारत की समुद्री रक्षा प्रणाली पहले से अधिक मजबूत हो गई है।
पनडुब्बियों पर मोदी सरकार का फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन जैसे ताकतवर प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ समुद्री क्षेत्र में परमाणु हमले की क्षमता को प्राथमिकता दी है। इसकी बड़ी वजह ये है कि विमान वाहक युद्धपोत लंबी दूरी की PLA मिसाइलों के निशाने पर आ सकते हैं। जंग होने पर इन युद्धपोतों का इस्तेमाल जोखिम भरा हो सकता है। इसी वजह से सरकार ने परमाणु पनडुब्बियों पर जोर दिया है, जिससे समुद्र में भारत की ताकत को मजबूत किया जा सके।
S4 है INS अरिधमान का अपडेटेड वर्जन
भारत की नई SSBN पनडुब्बी S4 INS अरिधमान का अपडेटेड वर्जन है, जिसे अभी औपचारिक रूप से नाम नहीं दिया गया है। (INS Aridhaman and S4* submarine) INS अरिधमान को S4 नाम दिया गया था, और अब इसी सीरीज की चौथी पनडुब्बी S4* है। INS अरिहंत, INS अरिघात और INS अरिधमान के बाद यह नई पनडुब्बी भारत की परमाणु हमले की शक्ति को और बढ़ाएगी। अगली पीढ़ी की पनडुब्बियां 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी वाली मिसाइलों के साथ आएंगी, जो भारत की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाएंगी।
हिंद महासागर में चीन से लोहा लेगी यह पनडुब्बी
हिंद महासागर में PLA यानी की चीनी सेना के युद्धपोतों की गतिविधियों को देखते हुए, भारतीय नौसेना की पनडुब्बियां चीन के खिलाफ बेहद कारगर साबित हो सकती हैं। हर महीने हिंद महासागर में 10-11 PLA युद्धपोतों की मौजूदगी के बीच, भारत की ये पनडुब्बियां इस समुद्री क्षेत्र में भारत की समुद्री ताकत में इजाफा करेंगे। कलवरी श्रेणी की INS वागशीर दिसंबर में कमीशन की जाएगी।
कुछ और पनडुब्बियां नौसेना में की जाएंगी शामिल
सरकार ने आने वाले कुछ साल में तीन और डीजल वाली पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जो फ्रांसीसी नौसेना समूह के साथ मिलकर मझगांव डॉकयार्ड में बनाई जाएंगी। इसके अलावा, 2028 में रूस की अकुला श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने जा रही है। यह कदम भारत को इंडो-पैसिफिक में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करेगा।