UNSC Seat For India: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर आवाज बुलंद होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यूएनएससी में स्थाई सदस्यता को लेकर खुलकर विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत को स्थायी सदस्यता जरूर मिलेगी, क्योंकि दुनियाभर में लोग चाहते हैं कि हमें यह जगह मिलनी चाहिए, लेकिन इस बार भारत को इसके लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। जयशंकर ने यह बात गुजरात के राजकोट में बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत के दौरान कही। इस दौरान ऑडियंस ने उनसे सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर सवाल पूछे।
हमें सदस्यता के लिए कहना लगता है अजीब
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करीब 80 साल पहले हुई थी। जिसके बाद पांच देशों- चीन, फ्रांस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने मिलकर सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का फैसला कर लिया। तब दुनिया में सिर्फ 50 देशों का अस्तित्व था, जो अब बढ़कर करीब 193 हो गए हैं। लेकिन संस्थापक पांच देशों ने सिक्योरिटी काउंसिल पर अपना नियंत्रण बनाए रखा है। आज बहुत अजीब लगता है कि हमें उनसे बदलाव के लिए सहमति की गुजारिश करनी पड़ रही है। इन देशों में कुछ सहमत हैं तो कुछ ईमानदारी से अपना पक्ष रखते हैं, लेकिन अन्य ऐसे भी हैं, जो पीठ पीछे कुछ करते हैं। यह सालों से चल रहा है।
हमें दबाव बनाए रखना है, इसी से कामयाबी मिलेगी
उन्होंने कहा कि लेकिन अब दुनिया में लोग चाहते हैं कि इसे बदलना चाहिए और भारत को परमानेंट सीट मिलनी चाहिए। मैं इस भावना को हर साल बढ़ता देख रहा हूं। हम यह हासिल करेंगे, लेकिन कड़ी मेहनत के बगैर कुछ नहीं मिलता है। हमें इस बार अधिक मेहनत करनी होगी। भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है और लगता है कि इससे मामला कुछ आगे बढ़ेगा। हमें दबाव बनाए रखना है और जब यह बढ़ता है... तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया। यूक्रेन जंग पर यूएन में गतिरोध था और गाजा को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, भारत के लिए परमानेंट सीट की संभावना बढ़ेगी।