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Manipur Unrest: मणिपुर के चीफ सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने कहा कि राज्य को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की करीब 90 कंपनियां मिलेंगी। मणिपुर में पहले से 198 कंपनियां मौजूद हैं।

Manipur Unrest: भारत के पूर्वोत्तरी राज्य मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की 90 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला लिया है। मणिपुर के मुख्य सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को बताया कि राज्य को पहले से तैनात 198 CAPF कंपनियों के अलावा, 90 नई कंपनियां मिलेंगी। इनमें से एक बड़ी संख्या पहले ही इंफाल पहुंच चुकी है।

मणिपुर हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत
कुलदीप सिंह ने कहा- 'हम इन बलों को नागरिकों की जान-माल की रक्षा और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए तैनात कर रहे हैं।' बता दें कि पिछले साल मई से मणिपुर में इंफाल घाटी स्थित मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों के कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए। अब तक 3 हजार से ज्यादा लूटे गए हथियार बरामद किए गए हैं। मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और आगजनी के मामलों में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

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सुरक्षा समीक्षा बैठक और आगामी रणनीति
इंफाल में हुई सिक्योरिटी कमेटी मीटिंग में आर्मी, BSF, CRPF, असम राइफल्स, SSB, ITBP और मणिपुर पुलिस के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद सिंह ने बताया कि सभी जिलों में सहयोग केंद्र और ज्वाइंट कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे। बलों की तैनाती के लिए कई मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) तैयार की गई हैं। इनमें सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा, राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा और अन्य संवेदनशील बिंदुओं की देखभाल के दिशा-निर्देश शामिल हैं। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बैठक के अहम बिन्दुओं की जानकारी दी जाएगी।

मणिपुर में अपहरण और हत्याओं की घटनाएं
कुलदीप सिंह ने बताया कि हाल ही में अपहरण और हत्या के शिकार 9 शवों को कड़ी सुरक्षा के बीच दफनाया गया। इनमें से 9 उन महिलाओं और बच्चों के थे, जिन्हें 11 नवंबर को कुकी-जो उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के बोरबेकरा क्षेत्र से राहत शिविर से अपहरण कर लिया था। CRPF पोस्ट पर हमले के बाद यह घटना हुई, जिसमें 10 उग्रवादी मारे गए थे।

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संधि समझौते और जांच की प्रगति
कुलदीप सिंह ने बताया कि यह जांच की जाएगी कि अपहरण सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हुआ या नहीं। इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि अपहरण करने वाले उग्रवादी सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (SoO) समझौते से जुड़े थे या नहीं। इन मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। SoO समझौता 2008 में केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों (Kuki National Organisation और United People's Front) के बीच हुआ था।

मणिपुर हिंसा की मुख्य वजह क्या है? 
जातीय हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब मैतेई समुदाय के अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगने के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया गया। मणिपुर की 53% आबादी मैतेई समुदाय की है, जो मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। नागा और कुकी आदिवासी, जो राज्य की 40% से अधिक जनसंख्या हैं, पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम मणिपुर में शांति और सुरक्षा बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

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