Manipur political crisis: मणिपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी ने राज्य में बढ़ती हिंसा और तनाव बढ़ने के कारण समर्थन वापस लेने का ऐलान। एनपीपी के इस फैसले ने मणिपुर की राजनीति में उथल-पुथल मचा कर रख दी है। इस आर्टिकल में जानिए, क्या मणिपुर में खतरे हैं बीजेपी सरकार, क्या है विधानसभा का गणित और क्या है इस सियासी उथल-पुथल की वजह।
NPP ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
एनपीपी ने रविवार(17 नवंबर) को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान। पार्टी ने BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी भेजी है। इस पत्र में एनपीपी ने कहा है कि सीएम बीरेन सिंह मणिपुर में जातीय हिंसा को रोकने और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में असफल रहे हैं। एनपीपी ने कहा, 'हमारा सरकार से समर्थन वापस लेना मजबूरी बन गया है।' जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में यह कदम नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
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— X Chophika Sumi (@chophika_sumi) November 17, 2024
NPP withdraws its support to Biren Singh led government in Manipur.
Modi-Shah-Biren has failed the people of Manipur miserably. pic.twitter.com/kS9t8oAJn5
असेंबली का गणित: क्या बीजेपी सरकार खतरे में है?
एनपीपी के समर्थन वापसी से बीजेपी सरकार पर कोई बड़ा संकट नहीं आएगा। 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है। बीजेपी के पास मौजूदा समय में 37 विधायक हैं। 2022 में जेडीयू के 6 में से 5 विधायकों बीजेपी में शामिल हो गए थे। इन विधायकों के बीजेपी जॉइन करने से पार्टी और मजबूत हुई है। ऐसे में, एनपीपी के 7 विधायकों के हटने के बावजूद बीजेपी सरकार सुरक्षित है।
अगवा लोगों का शव मिलने से भड़क उठे लोग
जातीय तनाव के बीच जिरीबाम जिले के बोरोब्रेका क्षेत्र में 11 नवंबर को हिंसा भड़क गई। यहां उग्रवादियों ने एक राहत शिविर से छह लोगों को अगवा कर लिया। बाद में इन सभी की हत्या कर दी। मृतकों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे। यह सभी लोग मैतेई समुदाय के थे। पुलिस ने आरोप लगाया कि हमलावर हथियारबंद कुकी उग्रवादियों ने पहले पुलिस स्टेशन पर हमला किया और फिर लोगों को अगवा कर लिया। कुछ दिनों बाद इनमें से चार लोगों के शव बराक नदी के पास पाए गए। इसके बाद से ही लोगों में नाराजगी है। लोगों ने 24 घंटे में दोषियों को पकड़ने की मांग की है।
इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं बंद
इन घटनाओं के बाद मैतेई समुदाय में भारी रोष फैल गया। 16 नवंबर को प्रदर्शनकारियों ने इंफाल घाटी में विधायकों और मंत्रियों के घरों पर हमला किया। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के आवास को भी निशाना बनाने की कोशिश की गई। पुलिस ने हिंसा और आगजनी के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया। स्थिति को काबू में रखने के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं बंद कर दी गईं। पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू लागू कर दिया गया।
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अमित शाह महाराष्ट्र दौरा रद्द कर मणिपुर पहुंचे
गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की बिगड़ती स्थिति पर दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल सिंह ने हालात का जायजा लेने के लिए मणिपुर का दौरा किया। अमित शाह ने महाराष्ट्र चुनाव के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए और मणिपुर पहुंच गए हैं। सेना, असम राइफल्स और सीआरपीएफ की कई टुकड़ियां राज्य में तैनात कर दी गई हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने की इस्तीफे की पेशकश
कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने सभी विधायकों के साथ इस्तीफा देने की पेशकश की है। मेघचंद्र ने कहा कि मणिपुर को नई शुरुआत की जरूरत है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी मेघचंद्र के इस बयान का समर्थन किया है। दूसरी ओर, बीजेपी सरकार ने स्थिति को काबू में लाने का दावा किया है। अब गृह मंत्री अमित शाह खुद मणिपुर पहुंचे हैं। गृह मंत्री मणिपुर के मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेंगे।