Monsoon Onset: बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात रेमल के कारण इस बार मानसून के पैटर्न में बड़ा बदलाव हुआ है। केरल और पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्साें में मानसून ने एक साथ दी है। ऐसा बेहद कम ही देखना को मिलता है। आमतौर पर, मानसून 1 जून को केरल और 5 जून को पूर्वोत्तर में पहुंचता है। पिछली बार ऐसा 2017 में हुआ था, जब चक्रवात मोरा बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना था। इस साल मानसून केरल और पूर्वोत्तर दोनों जगह एक साथ पहुंचने की घटना एक बार फिर से मौसम विज्ञानियों के लिए चर्चा का विषय बन गई है।
मानसून का आगमन
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को घोषणा की कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में दस्तक दे चुका है और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में भी पहुंच चुका है। इसमें नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और असम के अधिकांश हिस्से शामिल हैं। आईएमडी के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंच चुका है और राज्य के अधिकांश हिस्सों को कवर कर चुका है। इसने तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों को भी कवर किया है।
सामान्य से अधिक मानसून का अनुमान
आईएमडी ने इस साल सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी की है। मौसम कार्यालय के अनुसार, औसत या सामान्य वर्षा को जून-सितंबर मानसून मौसम के लिए 50 साल के औसत 87 सेमी के 96 और 104% के बीच परिभाषित किया जाता है। भारत की वार्षिक वर्षा में मानसून का योगदान 70 प्रतिशत से अधिक है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, क्योंकि यह देश की लगभग 50 प्रतिशत कृषि भूमि के लिए सिंचाई का एकमात्र स्रोत है। देश के बड़े हिस्से पीने के पानी की आपूर्ति के लिए भी इस पर निर्भर हैं।
दिल्ली और उत्तर भारत की स्थिति
दिल्ली और उत्तर के अन्य हिस्से, जो अभी भी रिकॉर्ड-उच्च तापमान की मार झेल रहे हैं, उन्हें बारिश के लिए इंतजार करना होगा। जून के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी में बारिश होने की उम्मीद है। आईएमडी प्रमुख ने कहा, "मानसून केरल में दो दिन पहले ही आ गया है और यह 8 जून को मुंबई पहुंचेगा। अगर हम मौसम के पैटर्न और मानसून की विशेषताओं को देखें, तो मैं कहूंगा कि यह इस दौर के जारी रहने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है। दिल्लीवासियों को अभी कुछ और दिनों की गर्मी सहन करनी पड़ेगी, लेकिन मानसून के आगमन के साथ ही तापमान में गिरावट की संभावना है।
कृषि और जल संसाधन पर प्रभाव
भारत की सालाना बारिश में मानसून का योगदान 70 प्रतिशत से अधिक है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है। यह देश की लगभग 50 प्रतिशत कृषि भूमि के लिए सिंचाई का एकमात्र स्रोत है। देश के बड़े हिस्से पीने के पानी की आपूर्ति के लिए भी इस पर निर्भर हैं। इस साल सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी के साथ, किसानों को बेहतर फसल की उम्मीद है। इससे जल संसाधनों की स्थिति में सुधार की संभावना है।
चक्रवात रेमल का है यह असर
बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात रेमल ने मानसून की गति को प्रभावित किया है। इसने मानसून को केरल और पूर्वोत्तर दोनों में एक साथ पहुंचने में मदद की है। चक्रवात रेमल के प्रभाव से मानसून की सक्रियता बढ़ी है। मानसून तेजी से देश के विभिन्न हिस्सों में फैल रहा है। इस चक्रवात के कारण भारत में मानसून के पैटर्न में बदलाव देखने को मिला है। भविष्य में यह मौसम वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय हो सकता है।
क्या होगा समय से पहले मानसून के आने का असर
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मानसून की गति बनी रहेगी और यह देश के अन्य हिस्सों में भी फैल जाएगा। मानसून का सामान्य से पहले आगमन और इसकी तेज गति से उम्मीद है कि देश के कई हिस्सों में जल संकट की स्थिति में सुधार होगा। हालांकि, इससे बाढ़ जैसी समस्याओं की भी संभावना बनी रहती है। ऐसे में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को सतर्क रहना होगा।