MUDA land scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती बीएम को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) भूमि आवंटन घोटाले में लोकायुक्त पुलिस से बड़ी राहत मिली है। बुधवार (19 फरवरी) को लोकायुक्त पुलिस ने हाईकोर्ट में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
लोकायुक्त पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई अपराध साबित नहीं हुआ है, इसलिए हाईकोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश की जा रही है।
सिद्धारमैया सहित इनपर थे आरोप
इस मामले में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती बीएम, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और भूमि मालिक देवराजू के खिलाफ जांच चल रही थी। आरोप था कि MUDA ने पार्वती को 50:50 स्कीम के तहत 14 प्लॉट आवंटित किए थे, जिनकी बाजार में कीमत काफी अधिक थी।
क्या है MUDA घोटाला?
- यह विवाद तब शुरू हुआ जब आरोप लगे कि MUDA ने पार्वती बीएम को मैसूर के विजय नगर लेआउट (तीसरा और चौथा स्टेज) में 14 प्लॉट आवंटित किए, जो मूल रूप से उनकी जमीन की तुलना में बहुत अधिक महंगे थे।
- पार्वती बीएम को यह प्लॉट 50:50 योजना के तहत दिए गए थे, जिसके तहत भूमि अधिग्रहण के बदले आधी विकसित जमीन लौटाई जाती है।
- विवाद की वजह यह थी कि आरोपों के मुताबिक पार्वती बीएम के पास 3.16 एकड़ जमीन का कोई वैध दस्तावेज नहीं था, जिसे MUDA ने अधिग्रहण कर लिया था।
- जब यह विवाद तूल पकड़ने लगा, तो पार्वती बीएम ने खुद आगे आकर सभी प्लॉट MUDA को वापस लौटाने की घोषणा की।
सबूतों के अभाव में मामला बंद
लोकायुक्त पुलिस की जांच में पाया गया कि कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका, इसलिए इस मामले में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई है। लोकायुक्त पुलिस ने यह भी कहा कि 2016 से 2024 तक MUDA द्वारा 50:50 स्कीम के तहत किए गए अन्य भूमि आवंटनों की जांच जारी रहेगी, और इस पर एक और अंतिम रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाएगी।