Mukhtar Ansari Profile: माफियागिरी से नेतागिरी तक का सफर तय करने वाले मुख्तार अंसारी को राजनीति का अच्छा विज्ञानी कहा जाता था। उसने हर चुनाव में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा। राजनीति में आने से पहले मुख्तार अंसारी की पहचान पूर्वांचल के डॉन के रूप में थी। उत्तर प्रदेश की मऊ सीट पर उसका मजबूत दबदबा रहा। पहली बार 1996 में मुख्तार ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुना गया। मुख्तार अंसारी मऊ सीट से लगातार 5 बार विधायक बना था।
लगातार 5 बार विधायक बना मुख्तार अंसारी
इसके बाद रणनीति के तहत दूसरी बार उसने पाला बदला और 2002 में निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गया। उसे इस बार भी जीत मिली। फिर 2007 में तीसरी बार भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और जीत का परचम लहराया, लेकिन मायावती ने पार्टी से निकाल दिया। मुख्तार ने 2012 में चौथी बार कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव जीता था।
मुख्तार सपा में लौटा तो अखिलेश ने बाहर कर दिया
इसके बाद उसने 2017 में बहुजन समाज पार्टी में वापसी की और मऊ सीट से विजयश्री हासिल की। तब शिवपाल यादव के कहने पर उसने अपने राजनीतिक दल का सपा में विलय कर लिया था, लेकिन अखिलेश यादव ने उसे पार्टी से निकाल दिया। फिर वह मायावती की पार्टी बसपा में लौट गया।
लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी को मिली हार
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। तब वह बसपा के टिकट पर वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में उतरा था, लेकिन उसे पहली बार हार का सामना करना पड़ा। तब बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी ने मुख्तार को करीब 17 हजार वोटों से हराया था। डॉन मुख्तार अंसारी को इस चुनाव में 27 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।