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RSS Rift with BJP: लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद RSS के दो बड़े पदाधिकारियों के बयान से खलबली मच गई। नतीजन, संघ और बीजेपी के बीच अनबन की बात खुलकर सामने आई। अब संघ ने मनमुटाव की खबरों को ख़ारिज किया है।

RSS Rift with BJP: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी में अनबन की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले दिनों इसे लेकर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार के बयानों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि, आरएसएस ने शुक्रवार को बीजेपी के साथ अपने मतभेदों की बातों को खारिज करने की कोशिश की और कहा कि चुनावों को लेकर भागवत की आलोचनात्मक बातें सत्तारूढ़ पार्टी के उद्देश्य से थे और ऐसे दावे सिर्फ भ्रम पैदा करने के लिए अटकलें हैं।

31 अगस्त से केरल में होगी संघ की वार्षिक समन्वय बैठक 

  • संघ के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी समेत उसके सहयोगियों के साथ 3 दिवसीय वार्षिक समन्वय बैठक 31 अगस्त से केरल के पलक्कड़ में होने वाली है। इसमें पार्टी अध्यक्ष समेत कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है। चुनावों के बाद यह पहली बैठक होगी। 
  • सूत्रों ने दावा किया है कि आरएसएस और बीजेपी के बीच कोई मतभेद नहीं है। लेकिन विपक्षी नेताओं और एक धड़े का कहना है कि संघ प्रमुख की ''सच्चा सेवक कभी अहंकारी नहीं होता'' जैसी टिप्पणियां चुनावों में अपने निचले स्तर के प्रदर्शन के बाद बीजेपी लीडरशिप के लिए एक संदेश थीं।

'अहंकार' वाली टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी पर नहीं: सूत्र 
सूत्रों ने अटकलों को खारिज करते हुए कहा- उनके (भागवत) हालिया भाषण और पिछले दो लोकसभा चुनावों के बाद दिए गए भाषण में बहुत अंतर नहीं था। किसी भी संबोधन में राष्ट्रीय चुनाव जैसे अहम घटनाक्रम की जिक्र होना तय है। लेकिन इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है और भ्रम पैदा करने के लिए बाहर से रिफरेंस लाए जा रहे हैं। भागवत की 'अहंकार' वाली टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी बीजेपी नेता पर कटाक्ष नहीं थी।

संघ प्रमुख ने मणिपुर में अशांति पर क्या कहा था?

  • सूत्रों की मानें तो संघ प्रमुख भागवत ने सोमवार को अपने भाषण में मणिपुर में अशांति को लेकर चिंता जताई थी। चुनाव के दौरान आम चर्चा की आलोचना की थी और चुनाव खत्म होने के बाद क्या और कैसे पर अनावश्यक चर्चा के बजाय आगे बढ़ने का आह्वान किया था। अब नतीजे आ चुके हैं। लेकिन विपक्षी नेताओं ने बीजेपी और पीएम मोदी पर हमले करने के लिए इस टिप्पणी को हथियार बना लिया। 
  • कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था- "अगर 'एक तिहाई' प्रधानमंत्री की अंतरात्मा की आवाज या मणिपुर के लोगों की बार-बार की मांग नहीं होती, तो शायद भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए राजी कर सकते हैं।" आरएसएस सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेताओं के ऐसे दावे भ्रम फैलाने की राजनीति के अलावा और कुछ नहीं हैं।

इंद्रेश कुमार के बयान से भी विवाद को हवा मिली 
संघ के सूत्रों ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार के चुनावी प्रदर्शन को लेकर भाजपा पर कटाक्ष से भी खुद को अलग करने की कोशिश की है। कुमार में कहा था, "भगवान राम ने उन लोगों को 241 पर रोक दिया जो अहंकारी हो गए थे। जिस पार्टी ने भक्ति (भगवान राम की) की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया। जिन्हें राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234" पर रोक दिया गया, जाहिर तौर पर उनका इशारा इंडिया ब्लॉक की तरफ था।

संघ प्रमुख के बयान पर बोलने से इंद्रेश कुमार का इनकार

  • बयान पर विवाद बढ़ने पर इंद्रेश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि पूरा देश बीजेपी के चुनाव प्रदर्शन और नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से खुश है। ताजा खबर ये है कि जो लोग भगवान राम के खिलाफ थे, वे सत्ता से बाहर हैं और जो भगवान राम के भक्त थे वे सत्ता में हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत प्रगति करेगा। 
  • डॉ. भागवत के भाषण के इर्द-गिर्द घूम रही बहस को लेकर पूछे जाने पर कुमार ने कहा- बेहतर होगा कि आप इस बारे में संघ के पदाधिकारियों से पूछें। जबकि, आरएसएस के एक पदाधिकारी ने इंद्रेश कुमार की टिप्पणी को उनकी निजी राय बताया, जो कि संघ के विचारों से मेल नहीं खाती है।

बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव पर क्या संघ के सूत्रों ने क्या कहा?

  • चुनावों में संघ की सक्रियता पर सूत्रों ने कहा कि आरएसएस प्रचार नहीं करता बल्कि लोगों में जागरूकता पैदा करता है और हमने चुनाव के दौरान अपना काम किया। देशभर में लाखों बैठकें कीं। सिर्फ दिल्ली में आरएसएस ने एक लाख से ज्यादा छोटे समूह की बैठकें कीं। 
  • वहीं, मोदी सरकार 3.0 में जेपी नड्डा के कैबिनेट मंत्री बनाए जाने और नए बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति पर संध पदाधिकारी ने कहा कि आरएसएस हमेशा ऐसे अहम निर्णय के लिए परामर्श प्रक्रिया में शामिल रहा है। संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले नेता ही पार्टी की कमान संभालते हैं। इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा। 
  • नड्डा की कथित टिप्पणी- बीजेपी को आरएसएस की उस तरह की जरूरत नहीं है, जैसी पहले थी, क्योंकि उसका अपना संगठन मजबूत हो गया है। सूत्रों ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने इस पर चर्चा की और अपने काम के साथ आगे बढ़ गए।
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