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Supreme Court Lady Justice Statue: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने सुप्रीम कोर्ट के प्रतीक और नई 'लेडी जस्टिस' की मूर्ति में किए गए बदलावों पर आपत्ति जताई है।

Supreme Court Lady Justice Statue: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने सुप्रीम कोर्ट के प्रतीक और नई 'लेडी जस्टिस' की मूर्ति में किए गए बदलावों पर कड़ा विरोध जताया है।SCBA ने कहा है कि लेडी जस्टिस की मूर्ति में बदलाव से पहले हमसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। यह जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन में बार एसोसिएशन की भूमिका को नजरअंदाज करने जैसा है। बार एसोसिएशन ने इसको लेकर एक प्रस्ताव पारित किया है। 

'लेडी जस्टिस' की मूर्ति में हुए बदलावों पर आपत्ति
बार एसोसिएशन ने अपने प्रस्ताव में कहा गया है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एम्ब्लम और 'लेडी जस्टिस' की मूर्ति में कुछ बड़े बदलाव किए हैं। बार एसोसिएशन ने कहा है कि इन बदलावों के बारे में हमसे कोई सलाह नहीं ली गई, जबकि हम न्याय व्यवस्था में बराबर के हितधारक हैं। यह बदलाव बिल्कुल एकतरफा किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में हमारी साफ अनदेखी की गई है। न्यायिक सुधारों में बार के सदस्यों की भागीदारी होनी चाहिए। ये बदलाव हमें पूरी तरह से असहज कर रहे हैं।

बदलाव के पीछे की सोच पर उठे सवाल 
SCBA का कहना है कि 'लेडी जस्टिस' की पारंपरिक मूर्ति में आंखों पर पट्टी होती थी, जो न्याय की निष्पक्षता का प्रतीक थी। लेकिन, नई मूर्ति में आंखें खुली हैं, जो यह संदेश देती हैं कि अब न्याय अंधा नहीं है। बार एसोसिएशन का कहना है कि यह बदलाव उनकी जानकारी के बिना किए गए हैं। साथ ही हमें यह भी नहीं बताया गया है कि इन बदलावों के पीछे की तर्कसंगतता क्या है। 

लेडी जस्टिस की मूर्ति में हुए हैं ये बदलाव
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लेडी जस्टिस की नई मूर्ति का अनावरण किया है। नई मूर्ति में 'लेडी जस्टिस' के हाथ में संविधान है। इसमें न्याय की देवी दिखाई गई मूर्ति की आंखों पर पट्टी नहीं है। हाथ में संविधान है। इस बदलाव से यह दिखाने की कोशिश की गई है भारत का कानून न तो अंधा है और न ही केवल सजा देने वाला।

क्यों किया गया है लेडी जस्टिस मूर्ति में बदलाव
नई मूर्ति को औपनिवेशिक धरोहर से हटकर नए भारत में न्याय के खुलेपन को दर्शाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मूर्ति में कांटे (scales) संतुलन और निष्पक्षता का प्रतीक थे, जबकि तलवार कानून की शक्ति का प्रतीक थी। इस नई प्रतिमा का उद्देश्य यह दर्शाना है कि भारत का कानून अब और अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार है।

संग्रहालय बनाने पर भी बार ने जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जजों की लाइब्रेरी में एक संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव रखा है। जबकि SCBA का कहना है कि बार की ओर से इस संग्रहालय के बदले एक कैफे-कम-लाउंज बनाने की मांग की थी, क्योंकि मौजूदा कैफेटेरिया वकीलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। बार एसोसिएशन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। इसके बावजूद भी संग्रहालय बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। 

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