SC Verdict On Industrial alcohol: सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि राज्यों का औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने का अधिकार नहीं छीना जा सकता। इस फैसले से राज्यों के औद्योगिक अल्कोहल को लेकर कानून और नियम बनाने के अधिकार को बरकरार रखा गया है।
यह फैसला 8:1 के बहुमत से सुनाया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 1990 के सात-जजों वाली पीठ के Synthetics and Chemicals केस के फैसले को पलट दिया। उस फैसले में केंद्र सरकार के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा गया था कि राज्यों को औद्योगिक अल्कोहल को विनियमित करने का अधिकार नहीं है, भले ही वह Concurrent List में आता हो।
1990 का फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट की नौ-जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए 1990 के Synthetics and Chemicals केस को पलट दिया। (SC overturns 1990 Synthetics and Chemicals case) उस समय, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र के पास है। लेकिन, अब कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकारें भी औद्योगिक अल्कोहल को नियंत्रित करने का अधिकार रखती हैं।
CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई में बहुमत का फैसला
इस बहुमत फैसले में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हृषिकेश रॉय, ए. एस. ओका, जे. बी. पारदीवाला, उज्जल भुइयां, मनोज मिश्रा, एस. सी. शर्मा और ए. जी. मसीह ने अपने मत दिए। जजों ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्यों का औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने का अधिकार भारत के संविधान के अनुरूप है और इसे छीना नहीं जा सकता।
जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने जताई असहमति
हालांकि, जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने असहमति जताते हुए कहा कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास होना चाहिए। जस्टिस नागरत्ना का मानना था कि औद्योगिक अल्कोहल एक ऐसा मुद्दा है जो राष्ट्रव्यापी प्रभाव डाल सकता है, इसलिए इसे केंद्र के अधिकार क्षेत्र में ही रखा जाना चाहिए।
राज्यों के अधिकार का दिया हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में Concurrent List पर जोर दिया, जिसमें कुछ ऐसे विषय होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक अल्कोहल भी इसी सूची में आता है, और इसलिए राज्य सरकारों को इसे नियंत्रित करने का अधिकार है।