Why Nitish Kumar Leave Opposition INDIA Block: बिहार...एक ऐसा राज्य जहां दो दिन पहले सत्ता बदल चुकी है। हालांकि न तो मुख्यमंत्री का चेहरा बदला, न ही विधानसभा और न राजभवन की स्थिति बदली। फिर बदला क्या? बदली है सत्ता, बदल गए हैं दल और सहयोगी...। बदलाव का नतीजा यह रहा कि 17 महीने पहले हुआ जदयू और राजद का गठबंधन टूटकर बिखर गया।

INDIA गठबंधन को भी करारा झटका लगा है। क्योंकि जिस विपक्षी एकता का नारा विपक्ष बीते एक साल से बुलंद कर रहा था, वह नारा कोई और नहीं नीतीश कुमार ने दिया था। लेकिन जब लड़ाई का अंतिम दौर आया तो नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया। आखिर में सवाल यह है कि ऐसा हुआ ही क्यों? नीतीश ने न सिर्फ राजद से नाता तोड़ा बल्कि INDIA गठबंधन को छोड़कर चले गए, क्यों?

जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने शुक्रवार को दावा किया था कि नीतीश कुमार अपना वजूद बचाने के लिए महागठबंधन से अलग हुए हैं।

तो 13 जनवरी को क्या हुआ था?
मकर संक्रांति 15 जनवरी को थी। इससे 2 दिन पहले 13 जनवरी को कांग्रेस की अगुवाई वाली विपक्षी दलों के गठबंधन की बात हुई। सबसे पहले महाराष्ट्र में एनसीपी नेता शरद पवार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हुए फोटो शेयर की। नीतीश कुमार की इच्छा गठबंधन का संयोजक बनने की थी। कुछ नेताओं ने यह प्रस्ताव भी रखा। लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सलाह लेकर बताएंगे। तब नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी कि लालू यादव को यह पद दिया जा सकता है। मुझे यह पद नहीं चाहिए। मैं बिना पद के भी काम करूंगा। 

सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने गुस्से में लालू यादव का नाम उछाला था। इसके बाद नीतीश कुमार मीटिंग के खत्म होने से 10 मिनट पहले उठकर चले गए। कुछ देर बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का अध्यक्ष चुन लिया गया। खड़गे के नाम का सुझाव ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने दिया था। बाद में शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि नीतीश कुमार ने संयोजक बनने से इंकार कर दिया है।  

नीतीश कुमार सीट शेयरिंग और आरजेडी के साथ खटपट से पहले ही नाराज थे, संयोजक न बनाना तीसरी सबसे बड़ी वजह नाराजगी की बन गई। उसी दिन नीतीश कुमार ने मन बना लिया था कि इंडिया गठबंधन के साथ रहना गलत होगा। 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा।

आगे की राह नीतीश के लिए कितनी आसान?
बिहार में रविवार को नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ नया गठबंधन बनाया। साथ ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भाजपा के कोटे से दो डिप्टी सीएम बनाए गए। नीतीश कुमार के लिए आगे की राह भी उतनी आसान नहीं, जिसकी वे कल्पना कर रहे होंगे। सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने एक रणनीति के तहत दो डिप्टी सीएम बनाए हैं। ताकि नीतीश कुमार पर नजर रखी जा सके।

अगले कुछ दिनों में मंत्रिपरिषद का विस्तार किया जाएगा और उसके बाद विभागों का बंटवारा किया जाएगा। हालांकि महत्वपूर्ण गृह विभाग नीतीश कुमार के पास रहेगा। सूत्रों ने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में दोनों पक्ष लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर भी चर्चा करेंगे, लेकिन बिहार की 40 संसदीय सीटों के लिए पहले के 17-17 फॉर्मूले में बदलाव करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि नए सहयोगियों के लिए भी सीटें आवंटित करनी होंगी, जिनमें जीतन राम मांझी की हम भी शामिल हैं।