Opinion: जम्मू कश्मीर के डोडा में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान सोमवार रात सुरक्षाबलों की आतंकवादियों से मुठभेड़ में सेना के एक अफसर समेत चार जवान शहीद हो गए हैं। एक माह के भीतर आतंकी वारदातों में हमारे 12 जांबाज जवान व अफसर तथा नौ आम नागरिक मारे जा चुके हैं।
पाक पोषित आतंकवादियों का हौसला
जिस तरह पाकिस्तान परस्त आतंकी जम्मू-कश्मीर में लगातार सैन्य वाहनों और सैनिकों पर ताबड़तोड़ हमले कर खून खराबा कर रहे हैं उससे पता चलता है कि पाक पोषित आतंकवादियों का इन दिनों हौसला कितना बढ़ गया है। इसे तत्काल कुचलने की जरूरत है, हम अपने जवानों की शहादत को यूं ही जाया होने नहीं दे सकते। मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी फौज ने भागते समय अफगानिस्तान में जो आधुनिक हथियार छोड़े थे, वे अफगानिस्तान से पाकिस्तान के दहशतगर्दों के जरिए भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
यही कारण हैं कि वे हथियार अब आतंकियों तक पहुंच रहे हैं और उन्हीं का उपयोग हमारी सेना को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है और हमारे सैनिकों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। इस ताजा वारदात में बीते सोमवार की शाम डोडा में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा है। बढ़ते आतंकी हमलों में के बाद सरकार को गंभीरता से सख्त कार्रवाई और आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए नई स्ट्रेटजी तैयार करनी चाहिए।
सैन्य कदम क्यों नहीं उठाना चाहिए
जब इजराइल आतंकी गुट हमास को खत्म करने के लिए गाजा में कार्रवाई कर रहा है, तो भारत को भी आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने के लिए सैन्य कदम क्यों नहीं उठाना चाहिए? 9 जून को आतंकियों ने जम्मू के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया, जिसमें 9 लोग मारे गए। फिर, आतंकियों ने कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी को टारगेट किया, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे। नौशेरा में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, हालांकि वह नाकामयाब रही। लेकिन 16 जुलाई यानी की आज आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 4 जवान शहीद हो गए और एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई।
पिछले एक महीने के अंदर आतंकी 7 बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके जिनमें 12 जवान शहीद हुए हैं और 9 आम नागरिकों की मौत हुई है। 11 जून को जम्मू कश्मीर के कठुआ के एक गांव में आतंकी घुस आए थे। इसके बाद आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में दो आतंकियों को ढेर कर दिया गया था। कठुआ जिले के गांव में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों का ऑपरेशन शुरू हुआ था। जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर 12 जून को आतंकियों ने गोलीबारी की थी। इस दौरान सेना के दो जवान घायल हो गए थे।
आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की
मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था। इसके साथ ही एक नागरिक घायल भी हो गया था। रियासी और कठुआ के बाद जम्मू इलाके में यह तीन दिनों में तीसरा आतंकी हमला था। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के दो गावों में 6 जुलाई को हुए एनकाउंटर में 2 जवान शहीद हो गए थे। गोली में लांस नायक प्रदीप नैन (पैरा कमांडो) और आरआर के हवलदार राज कुमार शहीद हुए थे। राजौरी के नौशेरा सेक्टर में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। जम्मू कश्मीर के राजौरी में 7 जुलाई को सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ था।
मौजूदा घटना के बाद सेना की अन्य टीमें भी मौके पर पहुंचीं और सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। हालांकि, आतंकियों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। इस हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स नाम के आतंकी संगठन ने ली है। कश्मीर टाइगर्स जैश का ही संगठन है, जिसने कठुआ में जवानों के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। आतंकियों की तलाश के लिए हेलिकॉप्टर से निगरानी रखी जा रही है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
आतंक विरोधी अभियान
दरअसल, यहां आतंक विरोधी अभियान चलाना सबसे चुनौतीपूर्ण और कठिन माना जाता है। पिछले एक महीने से जम्मू के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में लगातार सर्च ऑपरेशन चल रहा है। पहाड़ी इलाकों में ही आतंकियों का ज्यादा मूवमेंट है। यहां आतंकियों के अड्डे होने की खबरें हैं। जम्मू के तीन-चार जिलों के पहाड़ी इलाके में 50 से 60 आतंकियों के छिपे होने की खबर है। जरूरत इस बात की है कि भारत सरकार अपने सैनिकों को आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने के साथ ही इजराइल की तर्ज पर पाकिस्तान की सीमा से चल रहे आतंकवाद की जड़ों को उखाड़ फेंकने की दिशा में आगे बढ़े। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को कुचलना आवश्यक है।
मनोज कुमार अग्रवाल: (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये उनके अपने विचार हैं।)