Kuber Mandir: दिवाली पर महालक्ष्मी से पहले भगवान धनवंतरी और कुबेर देवता की पूजा होती है। भगवान कुबेर को सुख और समृद्धि का देवता माना गया है। यही कारण है कि धनतेरस पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात में स्थित प्रसिद्ध कुबेर मंदिरों में भी दिवाली और धनतेरस पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है।
मान्यता है कि धनतेरस पर कुबेर मंदिर में पूजा-अर्चना करने से धन-संपदा की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग मंदिर में जाकर भगवान कुबेर से सुख-समृद्धि के लिए कामना करते हैं। आप भी अगर कर्ज और आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं तो धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा करें। आइए देश के प्रसिद्ध कुबेर मंदिरों और उनसे जुड़ी मान्यतों के बारे में जानते हैं।
उत्तराखंड का प्राचीन कुबेर मंदिर
उत्तराखंड में अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम स्थित देश का सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर है। अल्मोड़ा से करीब 40 किमी दूर स्थित इस मंदिर में धनतेरस और दिवाली पर विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि कुबेर मंदिर से भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते। देवभूमि उत्तरखंड के घने जंगल और पहाड़ी पर स्थित कुबेर मंदिर का शांत और दिव्य वातावरण भक्तों को खूब आकर्षित करता है।
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MP में 3 कुबेर मंदिर
मध्य प्रदेश में भगवान कुबेर के तीन मंदिर हैं। उज्जैन, खंडवा और मंदसौर में स्थित इन कुबेर मंदिरों की अपनी अलग मान्यताएं हैं। धनतेरस और दिवाली पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। खंडवा का कुबेर मंदिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है। श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के बाद ओंकारेश्वर स्थित ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए भी जाते हैं।
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गुजरात का कुबेर भंडारी मंदिर
गुजरात के वडोदरा शहर में करीब 2500 साल पुराना कुबेर भंडारी का मंदिर है। नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर अपनी खूबसूरती और पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। जानकार बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव ने कराया था। यह भी मान्यता है कि धनतेरस और दिवाली पर यहां पूजा अर्चना करने से धन-वैभव और समृद्धि का सुख मिलता है। दिवाली पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।