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हिंदू धर्म में पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। जानिये इसका महत्व...

September Purnima 2024 Kab Hai: सनातन धर्म में पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व है। इस माह यानी सितंबर माह की पूर्णिमा की तिथि को भाद्रपद माह की पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत भी हो जाती है। इस दौरान विधि-विधान से पितरों की पूजा की जाती है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, पूर्णिमा की तिथि खास तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस दौरान भगवान नारायण की पूजा विधि-विधान से की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है। जो लोग सितंबर माह की पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं, उस जातक को सौभाग्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। सभी कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। आगे जानिये सितंबर माह में पूर्णिमा की शुभ तिथि कब है और इसका क्या महत्व है।

सितंबर में पूर्णिमा की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, सितंबर माह में भाद्रपद का महीना चल रहा है। ऐसे में भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा की तिथि कहा जाता है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर होगी। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा 18 सितंबर को मनाई जाएगी।

सितंबर पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर दिन बुधवार के दिन पूर्णिमा की शुभ तिथि है। पूर्णिमा तिथि पर दान-स्नान करने का शुभ मुहूर्त 4 बजकर 33 मिनट से लेकर सुबह के 5 बजकर 20 मिनट तक है। पूर्णिमा तिथि के दिन सत्य नारायण भगवान की कथा का पाठ करने का शुभ मुहूर्त सुबह के 9 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर के 1 बजकर 37 मिनट तक है। वहीं, चंद्रोदय का समय शाम के 6 बजे से होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त रात के 11 बजकर 52 मिनट से लेकर रात के 12 बजकर 39 मिनट तक है।

सितंबर पूर्णिमा पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सितंबर पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह स्नान-ध्यान करें। उसके बाद सूर्य देव का ध्यान करें। ध्यान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें साथ ही मंत्रों का जाप भी करें। उसके बाद साफ चौकी लेकर उस पर भगवान विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति स्थापित करने के बाद पीले फूल और पीला चंदन चढ़ाएं। माता लक्ष्मी को खीर का भोग अर्पित करें और सोलह श्रृंगार भी चढ़ावें। अंत में क्षमा याचना करके भगवान से प्रार्थना करें।

सितंबर पूर्णिमा महत्व

ज्योतिषियों के अनुसार, सितंबर माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान के साथ-साथ पितृ देव की पूजा भी की जाती है। भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि से पितृपक्ष की भी शुरुआत हो जाती है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है साथ ही घर में धन का आगमन होता है। माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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