Shab-E-Barat-2025: शब-ए-बारात यानी क्षमा की रात। इस्लामी चंद्र कैलेंडर के आठवें माह शाबान की 15वीं रात पड़ने वाला यह पवित्र पर्व दुनिया भर में मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दौरान प्रार्थना, पश्चाताप और दान पुण्य करते हैं। साथ ही देश में खुशहाली की कामना करते हैं।
इबादत करें, कुरान शरीफ पढ़ें
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बताया कि शब-ए-बारात 13 फरवरी को है। इस दौरान लोग खुदा की इबादत करें। कुरान शरीफ पढ़ें। सालभर के गुनाहों से छुटकारा के लिए खुदा की बारगाह में माफी मांगें। खुदा इस रात अपने बंदों के हर गुनाह माफ कर देता है।
तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ
शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम समुदाय के युवाओं को हिदायत दी है। कहा, इस दौरान न बाइक जुलूस के साथ स्टंटबाजी करें और होटलों में गपशप करें। शरीयत की नजर में यह सब गुनाह हैं। अपने परिवार और कारोबार की तरक्की के साथ देश की खुशहाली के लिए अल्ला से दुआ करें।
कब मनाया जाता है शब-ए-बारात?
हिजरी कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष शब-ए-बारात गुरुवार (13 फरवरी) शाम से शुक्रवार (14 फरवरी 2025) की शाम तक मनाया जाएगा। हालांकि, इसकी तिथि तो हर जगह एक ही होती है, लेकिन समय हर देश में अलग-अलग होता है। चांद देखने के बाद इस पर्व को मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन इस दिन मस्जिदों में नमाज़ अदा करते हैं।
कैसे मनाएं शब-ए-बारात?
इस्लाम में शब-ए-बारात (shab-e-barat) का विशेष महत्व है। इस दिन तरह तरह के पकवान बनाकर गरीबों में बांटा जाता है। रात में लोग रातभर अल्लाह की इबादत कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। पुरुष मस्जिद और महिलाएं घर में नमाज़ पढ़ती हैं। कुछ लोग पूर्वजों की कब्रों पर जाकर मगफिरत की दुआ मांगते हैं। अगले दिन रोजा रखा जाता है। इसे नफिल रोजा कहते हैं। जिनका रमजान का रोजा पूरा नहीं होता, उन्हें यह रोजा नहीं रखना होता।
शब-ए-बारात का महत्व
भोपाल, इंदौर सहित पूरे देश में शब ए बारात (shab-e-barat) को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। 13 फरवरी को सूरज ढलने से शुरू हो रहा यह पर्व 14 फरवरी को सुबह फजिर की नमाज के साथ संपन्न हो जाएगा। रमज़ान से पहले यह पर्व क्षमा याचना के साथ बिगड़े रिश्ते सुधारने और आत्म-सुधार का मौका देता है।