(Ruchi Rajput)
Pran Pratishtha : सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है। किसी भी मंदिर में मूर्ति की पूजा करने के पहले उसकी विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। मतलब उस मूर्ति में भगवान या अमुक देवी देवता की शक्ति का स्वरूप स्थापित करते हैं। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उसका पूजन अनिवार्य माना गया है। 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा। आखिर क्या है प्राण प्रतिष्ठा जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं पंडित आशीष शर्मा से।
क्या है प्राण प्रतिष्ठा
हमने अपने धार्मिक गुरु, महंत, आचार्यों से सुना है कि मूर्ति में प्राण होते हैं, क्योंकि किसी भी मूर्ति की स्थापना सिर्फ उसे उस विशेष जगह पर स्थापित कर देना मात्र नहीं होता। इसके पीछे होता है कई दिनों का विशेष पूजा पाठ, कलश यात्रा, नव ग्रह, देवी देवता आवाहन, हवन, यज्ञ भजन प्रसाद वितरण आदि। जिस जगह पर मूर्ति की स्थापना करते हैं, वहीं पर प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। उस जगह पर लगभग 7 दिन या उससे अधिक के लिए हवन पूजन किया जाता है। उसके बाद ही किसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। माना जाता है कि प्राण प्रतिष्ठा के बिना उस विशेष मूर्ति की पूजा अर्चना नहीं करना चाहिए। चलिए जानते हैं कि क्यों की जाती है प्राण प्रतिष्ठा और क्या है इसका महत्व।
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व
जब भी कहीं पर किसी भी देवी देवता की प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। तो निरंतर कई दिनों तक उनका पूजन विधि विधान से करते हैं और उनसे हम यह विनती करते हैं कि आप इस विशेष मूर्ति में अपना अंश विराजमान करें। जिससे कि हम जब भी इस मंदिर या मठ पर आएं तो आपका साक्षात्कार कर सकें, बात की जाए अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तो यह शुभ घड़ी 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन खरमास के समापन पर शुरू होगी और 22 जनवरी के दिन प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। उसी के बाद भगवान राम की पूजा राम मंदिर में शुरू की जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
प्रतिष्ठा के समय विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता है जो नीचे दिए गए हैं
मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं
तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ।।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै
देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ।।
ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव
प्रसन्नो भव, वरदा भव ।।
विधि
किसी भी देवी देवता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले उस मूर्ति को किसी 5, 7 या इससे अधिक पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है, इसके बाद साफ और सूखे वस्त्र से पोंछकर उस मूर्ति की इत्र से मालिश की जाती है, फिर उस मूर्ति को सुंदर पोशाक पहनाई जाती है, उस मूर्ति को चंदन, अक्षत लगाया जाता है, सुगंधित फूलों की माला पहनाई जाती है। इसके बाद ही मंत्र का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। आखरी में उस प्रतिष्ठित मूर्ति की आरती उतार कर भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है।