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मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों से अशंकालीन कर्मचारी रविवार को भोपाल पहुंचे। यहां धरने पर बैठ गए। इन 20 साल पुराने मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं।

भोपाल (सचिन सिंह बैस)। 20 सालों से लंबित मांगों का निराकरण नहीं होने से नाराज प्रदेश के अशंकालीन कर्मचारियों ने राजधानी भोपाल में रविवार को धरना-प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे पर कर्मचारी महेंद्र सारस, प्रमोद बर्डे, उमाशंकर पाठक, भैयालाल, विजय वाल्मीकि, भारत धुर्वे, अंगूरी वंशकार ने बताया कि 15 से 20 साल नौकरी पर होने के बाद भी उन्हें अब नियमित नहीं किया गया है।

वहीं, इन्हें महंगाई भत्ते और पेंशन का लाभ भी नहीं मिल रहा है। वेतन इतना कम है कि परिवार का खर्च उठाना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए अपनी सात सूत्रीय मांगों के समर्थन में अंबेडकर मैदान तुलसी नगर में धरना देकर मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडेय ने बताया कि सरकार अंशकालीन कर्मचारी की मांगों को 20 साल से मंजूर नहीं कर रही है, जिस कारण अंशकालीन कर्मचारी का नियमितीकरण, महंगाई भत्ते और पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसलिए कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है।

8 घंटे की ड्यूटी, वेतन 4 घंटे का
पांडे ने बताया कि अंशकालीन कर्मचारियों से विभाग में 8 घंटे से ज्यादा काम लिया जाता है, लेकिन उन्हें वेतन मात्र चार घंटे का दिया जाता है। नौकरशाही अंशकालीन कर्मचारी के अधिकारों का हनन कर उनका शोषण कर रही है। अंशकालीन कर्मचारी के वेतन में पिछले 20 साल से वृद्धि नहीं की गई, जिस कारण आज भी अंशकालीन कर्मचारी मात्र 4 हजार या 5 हजार रुपए में प्रतिमाह नौकरी करने के लिए मजबूर है। धरने में बैतूल, जबलपुर, दतिया, मंडला, सीहोर, सागर, रीवा, सतना, सिंगरौली, सीधी, बालाघाट, विदिशा समेत अन्य जिलों के अंशकालीन कर्मचारी शामिल हुए।

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