India vs England: ऑस्ट्रेलिया दौरे में मिली हार के बाद भारतीय क्रिकेट में कई तरह के बदलाव की बातें हो रहीं। बीसीसीआई भी भारतीय क्रिकेट टीम के कोचिंग स्टाफ में शामिल सदस्यों से बहुत खुश नहीं। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड गौतम गंभीर के कोचिंग स्टाफ से संतुष्ट नहीं है और नए कोच की तलाश हो रही। ऐसी खबरें हैं कि टीम इंडिया की बल्लेबाजी को मजबूत करने के इरादे से एक बैटिंग कोच की तलाश की जा रही। इस बीच, इंग्लैंड के पूर्व बैटर केविन पीटरसन ने इस जिम्मेदारी को संभालने की इच्छा जताई है। पीटरसन ने कहा है कि वो टीम इंडिया के बैटिंग कोच बनने के लिए उपलब्ध हैं।
2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले केविन पीटरसन को उच्चतम स्तर पर कोचिंग का अनुभव नहीं है। हालांकि, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने पिछले कुछ सालों में खुद को एक क्रिकेट एक्सपर्ट और ब्रॉडकास्टर के रूप में स्थापित किया है। पीटरसन ने एक्स पर एक पोस्ट के जवाब में लिखा, जिसमें भारत द्वारा बल्लेबाजी कोच की कथित खोज पर चर्चा की गई थी।
Available!
— Kevin Pietersen🦏 (@KP24) January 16, 2025
पीटरसन ने भारत का बैटिंग कोच बनने की इच्छा जताई
क्रिकबज के अनुसार,बीसीसीआई 2024-25 टेस्ट सीजन में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अपनी कोचिंग टीम को मजबूत करने पर विचार कर रही। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी दौरे की समीक्षा बैठक के दौरान, कोचिंग स्टाफ की भूमिका जांच के दायरे में आई, जिससे बीसीसीआई को एक समर्पित बल्लेबाजी कोच को नियुक्त करने के विचार पर विचार करना पड़ा। जब गंभीर ने राहुल द्रविड़ के कार्यकाल के बाद मुख्य कोच का पद संभाला, तो उन्हें अपनी कोचिंग टीम चुनने की पूरी आजादी दी गई थी। उन्होंने बॉलिंग कोच के तौर पर मोर्ने मोर्केल, बैटिंग कोच के रूप में अभिषेक को शामिल किया था।
केविन पीटरसन का कैसा रहा करियर?
इंग्लैंड के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माने जाने वाले केविन पीटरसन ने टेस्ट क्रिकेट में 8181 रन, वनडे में 4,440 रन और टी20 में 1,176 रन बनाए। उन्होंने भारत में टेस्ट क्रिकेट में 44 की औसत से 703 रन बनाए, जिसमें 2 शतक शामिल हैं। पीटरसन ने 2012-13 सत्र के दौरान भारत में इंग्लैंड की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
2012-13 की हार से लेकर पिछले साल तक टीम इंडिया घरेलू टेस्ट सीरीज़ में अजेय रही थी, जब रोहित शर्मा की टीम को न्यूजीलैंड की टीम के खिलाफ़ ऐतिहासिक 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था। उस सीरीज़ में भारत की बल्लेबाज़ी की कमज़ोरी सामने आई थी। कप्तान रोहित शर्मा तीन टेस्ट मैचों में सिर्फ़ 91 रन बना पाए, जबकि विराट कोहली ने 93 रन बनाए थे।
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत का संघर्ष जारी रहा था। रोहित शर्मा का फॉर्म और भी गिर गया था। उन्होंने सिडनी में सीरीज के अंतिम टेस्ट से बाहर होने से पहले तीन टेस्ट में केवल 31 रन बनाए थे। विराट कोहली ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया, उन्होंने पांच टेस्ट में 195 रन बनाए, लेकिन पर्थ में सीरीज के पहले मैच में शतक लगाने के बाद वो रन बनाने के लिए संघर्ष करते दिखे थे। कोहली बार-बार ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंदों का पीछा करते हुए एक ही गलती का शिकार हुए और बल्ले से अनुशासन की कमी के लिए उनकी आलोचना हुई थी। ।