Varun Chakaravarthy: भारत के मिस्ट्री स्पिनर और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में शानदार प्रदर्शन करने वाले वरुण चक्रवर्ती ने टेस्ट क्रिकेट में खेलने की इच्छा जताई लेकिन यह भी बताया कि उनका गेंदबाजी एक्शन लाल गेंद के क्रिकेट के लिए मुफीद नहीं है। वरुण ने भारत को 12 साल बाद आईसीसी 50 ओवर ट्रॉफी जीतने में अहम भूमिका निभाई थी। दुबई में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया।
वरुण चक्रवर्ती ने यूट्यूब चैनल पर गोबीनाथ के साथ एक पॉडकास्ट में कहा,'मुझे टेस्ट क्रिकेट में खेलने की इच्छा है लेकिन मेरा गेंदबाजी एक्शन उसके अनुकूल नहीं है। मेरी गेंदबाजी लगभग मध्यम गति की तरह है। टेस्ट क्रिकेट में लगातार 20-30 ओवर फेंकने पड़ते हैं, जो मैं नहीं कर सकता। मेरी गेंदबाजी तेज़ होती है, इसलिए मैं अधिकतम 10-15 ओवर ही फेंक सकता हूं, जो लाल गेंद के क्रिकेट के लिए उपयुक्त नहीं है। फिलहाल मैं 20 और 50 ओवर के सफेद गेंद क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ।'
33 साल के वरुण चक्रवर्ती ने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया। ग्रुप स्टेज के मुकाबले में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच विकेट झटके, जिससे भारत ने कीवी टीम को ध्वस्त कर दिया। वरुण ने सिर्फ तीन मैचों में नौ विकेट लिए और न्यूजीलैंड के मैट हेनरी के बाद टूर्नामेंट में संयुक्त रूप से दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने।
तेज गेंदबाजी छोड़ने का कोई अफसोस नहीं: वरुण
तमिलनाडु के इस स्पिनर ने कहा कि उन्हें तेज गेंदबाजी छोड़ने का कोई पछतावा नहीं। वरुण ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत विकेटकीपर के रूप में की थी, लेकिन कॉलेज के दिनों में वह तेज गेंदबाज बन गए। हालांकि, चोट के कारण उन्होंने स्पिन गेंदबाजी अपनाने का फैसला किया और यही निर्णय उन्हें भारतीय टीम तक ले गया।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें तेज गेंदबाजी छोड़ने का पछतावा है, तो उन्होंने जवाब दिया, 'नहीं, यही वजह है कि मैं आज यहां हूं। अगर मैं तेज गेंदबाजी करता, तो वहीं फंसा रह जाता। तमिलनाडु की पिचों पर स्विंग नहीं मिलती, ये स्पिनरों के लिए ज्यादा अनुकूल होती हैं। यही कारण है कि यहां तेज गेंदबाज कम मिलते हैं। बालाजी और नटराजन जैसे कुछ अपवाद हैं, लेकिन अन्य राज्यों में अधिक तेज गेंदबाज हैं। मैं खुश हूँ कि मैंने तेज गेंदबाजी छोड़ दी। रविचंद्रन अश्विन भी तेज गेंदबाज थे, बाद में स्पिनर बने। इसलिए मुझे कोई पछतावा नहीं।'