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Arshad Nadeem: अरशद नदीम ने पाकिस्तान को 32 साल बाद ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह बचपन से क्रिकेटर बनना चाहते थे।

Arshad Nadeem: पाकिस्तान में इस वक्त हर किसी की जुबां पर एक ही नाम है और वो है ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले अरशद नदीम का। जी हां अपने देश का 32 साल का इंतजार खत्म करने वाले अरशद नदीम एक समय क्रिकेटर बनना चाहते हैं, फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें अपना क्रिकेटर बनने का सपना छोड़ना पड़ा। 

अरशद नदीम के भाई शाहिद ने Revsportz को बताया कि अरशद शुरू से क्रिकेटर बनना चाहता था। लेकिन परिवार की आर्थिक समस्याएं भी सामने थीं। हमारा परिवार काफी बड़ा है। इसमें 4 भाई, 2 बहनें और माता-पिता मिलाकर कुल 9 सदस्य हैं। इतने बड़ा परिवार और कमाई सीमित थी। ऐसे में परिवार चलाना और क्रिकेट की ट्रेनिंग कराना बहुत मुश्किल था। क्रिकेट वैसे भी बहुत महंगा खेल है। इसीलिए अरशद ने क्रिकेटर बनने का सपना छोड़ दिया। 

इन चुनौतियों के बीच नदीम को एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो पसंद आया और उसमें ज्यादा संसाधन भी नहीं लगते। अरशद नदीम ने जैवलिन खेलना शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने स्कूल टीचर से भाला फेंकने की बारिकियां सीखीं। 

शाहिद ने बताया कि शुरुआत में अरशद हर खेल में भाग लेता जैसे- 200 मीटर, 400 मीटर की लंबी कूद, भाला फेंक। इसके बाद टीचर ने उन्हें किसी एक खेल को पसंद बनाने को कहा। इसके बाद उन्होंने जैवलिन को अपनी पसंद बनाया और उसका अभ्यास करने लगे। 

अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में अब तक के सबसे बेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने 92.97 मीटर का थ्रो फेंका था। इससे पहले ओलंपिक 2008 में 90.57 मीटर का सबसे बेस्ट थ्रो फेंका गया था। अरशद की उपलब्धि पर पाकिस्तान सरकार उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार हिलाल-ए-इम्तियाज से सम्मानित करेगी। 

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