नई दिल्ली। सानिया मिर्जा और पाकिस्तान के क्रिकेटर शोएब मलिक का निकाह आखिरकार 14 साल बाद टूट गया। शोएब ने हाल ही में पाकिस्तानी एक्ट्रेस सना जावेद से तीसरा निकाह किया। इसकी फोटो दोनों ने खुद सोशल मीडिया पर शेयर की थी। इसके बाद ये खबर आई कि सानिया ने 'खुला' लिया। यानी शोएब ने नहीं, बल्कि सानिया ने उनसे अलग होने का फैसला लिया। इस्लाम में महिलाओं को भी तलाक लेने की इजाजत होती और खुला के तहत वो ऐसा कर सकती हैं।
सानिया और शोएब के अलग होने के बाद इसकी काफी चर्चा हो रही है कि तलाक के बाद दोनों के बेटे इजहान मिर्जा मलिक का क्या होगा? क्या सानिया उन्हें भारत लेकर आएंगी। बेटे की कस्टडी सानिया के पास रहेगी या शोएब के? इजहान किस देश का नागरिक होगा भारत या पाकिस्तान? क्या इजहान को भारत की नागरिकता मिल पाएगी? इन तमाम सवालों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस चल रही है।
आखिर भारत की नागरिकता को लेकर कानून क्या कहता है? क्या इजहान को भारत की नागरिकता मिल सकती है? अगर ऐसा हो सकता है तो इसके लिए किन शर्तों का पूरा होना जरूरी है। आइए इसे समझते हैं। इससे पहले ये जान लेते हैं कि फिलहाल इजहान मलिक कहां रह रहे हैं और उनकी नागरिकता का स्टेटस क्या है?
क्या है इजहान मिर्जा मलिक की नागरिकता का स्टेटस?
इजहान मिर्जा मलिक काफी सालों से मां सानिया के साथ यूएई में गोल्डन वीजा पर रहे हैं। अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि गोल्डन वीजा होता क्या है और इसके क्या फायदे हैं? तो आइए आपको बताते हैं।
UAE का गोल्डन वीजा होता क्या है?
गोल्डन वीजा विदेशियों को संयुक्त अरब अमीरात में काम करने, रहने, व्यापार करने और शिक्षा की अनुमति देने के लिए लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य संयुक्त अरब अमीरात में लंबे समय तक रहने का लक्ष्य रखने वालों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाना है और यह UAE में दीर्घकालिक वीजा धारकों के लिए नई प्रोसेस भी है।
इसके जरिए कोई शख्स अधिकतम 10 साल तक यूएई में रह सकता है। यानी ये सारे फायदे सानिया को मिल रहे होंगे। हालांकि, गोल्डन वीजा मिलने का मतलब यूएई की नागरिकता हासिल करना नहीं है।
आपको बता दें कि यूएई की फुल सिटीजनशिप सिर्फ ओमान, कतर या बहरीन के अरब नागरिकों को ही मिल सकती है। ऐसे में ये सवाल नहीं खड़ा होता कि सानिया मिर्जा और शोएब मलिक के बेटे इजहान को यूएई की पूर्ण नागरिकता मिल जाए।
क्या इजहान को भारत की नागरिकता मिल सकती है?
बता दें कि सानिया मिर्जा ने शोएब मलिक से निकाह के 8 साल बाद 2018 में अपने होम टाउन हैदराबाद में बेटे इजहान को जन्म दिया था। ऐसे में नियमों के तहत इजहान को भारतीय नागरिकता मिल सकती है, अगर सानिया ऐसा चाहें तो। सानिया प्रेग्नेंसी के कुछ दिन से लेकर बच्चे को जन्म देने तक हैदराबाद में हीं रहीं थी। ऐसा मुमकिन है कि सानिया ने अपने बेटे को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए ही ऐसा किया हो।
भारत में नागरिकता से जुड़े नियमों के मुताबिक, अगर कोई बच्चा भारत में पैदा होता है और उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक होता तो पेरेंट्स के चाहने पर उसे भारतीय नागरिकता मिल सकती है।
इजहान की नागरिकता को लेकर तस्वीर साफ नहीं
फिलहाल, सानिया मिर्जा ने भारत की नागरिकता नहीं छोड़ी है और उनके बेटे का जन्म भी भारत में हुआ है। हालांकि, 2018 में जब इजहान का जन्म हुआ था, तब शोएब मलिक ने ये दावा किया था कि उनका बेटा न तो पाकिस्तानी होगा और ना ही भारतीय नागरिक होगा। उनका इशारा शायद किसी और देश की नागरिकता को लेकर होगा। हालांकि, अबतक ये साफ नहीं हुआ है कि शोएब या सानिया ने इजहान को किसी अन्य देश की नागरिकता दिलाने की कोशिश की है।
भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है
भारतीय संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है। अगर किसी भारतीय ने अन्य देश की नागरिकता ले ली है, तो उसकी भारतीय नागरिकता उसी वक्त खत्म हो जाती है। इसी तरह अगर किसी विदेशी को भारतीय नागरिकता लेनी है, तो उसे अपने मूल देश की सिटीजनशिप छोड़नी ही होगी। यानी इजहान को अगर भारत का नागरिक माना जाए तो किसी और देश की नागरिकता नहीं ले सकते हैं।
भारत में नागरिकता कैसे दी जाती है?
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के कुछ प्रावधानों के तहत भारत की नागरिकता ली जा सकती है।
पहला प्रावधान: जन्म से नागरिकता का है। भारत का संविधान लागू होने यानी 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में पैदा हुआ कोई भी शख्स जन्म से भारत का नागरिक है। इसके एक और प्रावधान के तहत, 1 जुलाई 1987 के बाद में पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है। अगर जन्म के समय उसके माता या पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक थे।
दूसरा प्रावधान: वंशानुक्रम या ब्लड रिलेशन के आधार पर नागरिकता देने का है। इस प्रावधान के तहत एक शर्त ये है कि शख्स का जन्म अगर भारत के बाहर हुआ हो तो उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए।
इसकी दूसरी शर्त ये है कि विदेश में जन्मे उस बच्चे का रजिस्ट्रेशन भारतीय एंबेसी में एक साल के भीतर कराना अनिवार्य है। अगर वो ऐसा नहीं करते तो उस परिवार को अलग से भारत सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
इस प्रावधान में मां की नागरिकता के आधार पर विदेश में पैदा होने वाले बच्चे को नागरिकता देने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 के जरिए किया गया था।
तीसरा प्रावधान: रजिस्ट्रेशन के जरिए भी भारत की नागरिकता मिलती है। अवैध प्रवासी को छोड़कर अगर कोई अन्य शख्स भारत सरकार को आवेदन कर नागरिकता मांगता है, तो कुछ शर्तों के आधार पर उसे नागरिकता दी जा सकती है। जैसे
- भारतीय मूल का वो व्यक्ति जो देश में नागरिकता के लिए आवेदन देने के पहले भारत में कम से कम 7 साल रहा हो।
- वो नाबालिग़ बच्चे जिनके माता या पिता भारतीय हों।
- भारतीय मूल का वो शख्स जो अविभाजित भारत के बाहर किसी देश का नागरिक हो। इसका मतलब ये कि शख्स पाकिस्तान और बांग्लादेश से बाहर किसी अन्य देश का नागरिक हो, और उस नागरिकता को छोड़कर भारत की नागरिकता चाहता हो। इसके अलावा भी नागरिकता हासिल करने के लिए कई और प्रावधान भी होते हैं।