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Who is Adarsh Singh: अंडर-19 विश्व कप के पहले मैच में भारत ने बांग्लादेश को हराया था। इस मुकाबले में आदर्श सिंह ने 76 रन की पारी खेली थी। आदर्श के भारतीय अंडर-19 टीम में पहुंचने का सफर संघर्षों भरा रहा है।

नई दिल्ली। साउथ अफ्रीका में खेले जा रहे अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत का आगाज जीत से हुआ। टीम इंडिया ने पहले मुकाबले में बांग्लादेश को 84 रन से हराया। भारत की इस जीत के हीरो रहे ओपनर आदर्श सिंह। उन्होंने मुश्किल विकेट पर 76 रन की पारी खेली। इस प्रदर्शन के लिए आदर्श को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था। 

आदर्श के लिए भारतीय अंडर-19 टीम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। उनके क्रिकेटर बनने के  सपने को पूरा करने के लिए पिता ने जमीन तक बेच दी थी। इतना ही नहीं, कोरोना के दौर में उनके पिता और बड़े भाई की नौकरी तक चली गई थी। इसके बावजूद परिवार ने आदर्श के सपने को पूरा करने के लिए जी-जान लगा दी। इसी का नतीजा है कि आदर्श अब अंडर-19 विश्व कप में न सिर्फ परिवार का बल्कि देश का भी परचम बुलंद कर रहे। 

भारत की जीत में चमका आदर्श
बांग्लादेश के खिलाफ मैच के दौरान भी आदर्श को स्लेजिंग का सामना करना पड़ा। विकेट बल्लेबाजी के लिए मुश्किल था। इसके बावजूद उन्होंने हार बाधा को पार किया और मुश्किल वक्त में टीम इंडिया के 76 रन की अहम पारी खेली। आदर्श की पारी की बदौलत ही भारत 251 रन के स्कोर तक पहुंच पाया और फिर बांग्लादेश को 167 रन पर समेट मैच मुठ्ठी में किया। 

पिता ने आदर्श के लिए जमीन तक बेच दी
आदर्श के इस प्रदर्शन से उनके बड़े भाई अंकित काफी खुश हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उनके क्रिकेटर बनने के सफर से जुड़े संघर्षों को साझा किया। अंकित ने बताया, "हमें बुरा दौर भी देखा है। हमारे पिता चाइनीज ज्वेलरी बनाने वाली कंपनी में काम करते थे। उन्हें 25 हजार रुपये सैलरी मिलती थी। लेकिन, कोरोना के दौर में उनकी नौकरी चली गई थी। मेरी भी नौकरी छूट गई थी। तब आंगनवाड़ी में काम करने वाली मां की तनख्वाह से घर चलता था। तब आदर्श अंडर-16 ऐज ग्रुप में खेल रहा था। उसके क्रिकेटर बनने की राह में अड़चन न आए तो पिता ने जमीन बेच दी और उससे मिले पैसे आदर्श को दे दिए ताकि वो खेलता रह सके।" 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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पिता ने क्रिकेट में करियर बनाने के लिए 1 साल का वक्त दिया था
अंकित ने आगे बताया, "आदर्श धुन का पक्का था। यह उसकी जिद थी कि जिसने मेरे पिता को उसे एक साल के लिए क्रिकेट खेलने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया, इस शर्त के साथ कि अगर क्रिकेट हमारे काम नहीं आया तो वह इस खेल को अलविदा कह देगा और अपनी पढ़ाई जारी रखेगा। लेकिन, एक साल में वो यूपी अंडर-14 में आ गया, अगले साल कप्तान बन गया, फिर पीछे मुड़ के नहीं देखा।"

अंकित के मुताबिक, जमीन बेचने के कारण पिता को रिश्तेदारों से ताने भी सुनने को मिले। लेकिन, आदर्श की जिद के कारण पिता ने हर बात को अनसुना कर दिया। समय बड़ा बलवान होता है। धीरे-धीरे आदर्श ने अच्छा करना शुरू किया। उसे भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला और अब वही लोग उसकी तारीफ करते हैं। अब मुझे आदर्श की सफलता पर लोगों के फोन आ रहे हैं। अब सब उसके बारे में अच्छी-अच्छी बातें कर रहे। लोग उसकी सफलता पर खुश हो रहे। यही जिंदगी का सच है। 

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