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 Exclusive : बस्तर के भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप से हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने 'सार्थक संवाद' शो में ख़ास बातचीत । यहां देखें वीडियो-

रायपुर। बस्तर के भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप का कहना है कि बस्तर से कांग्रेस अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पा रही है, यह उनका अंदरूनी मामला है। कांग्रेस बस्तर से राहुल गांधी को चुनाव लड़ा ले या फिर भूपेश बघेल को, भाजपा को इससे फर्क पड़ने वाला नहीं है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। जीत तो बस्तर से भी भाजपा की ही होगी। चुनावी संवाद में हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से बस्तर के भाजपा प्रत्याशी की चर्चा के प्रमुख अंश।

▶ इतने लोग कतार में थे तो महेश कश्यप को टिकट मिलने का कमाल कैसे हो गया?

▶ भाजपा में सब संभव है। जब चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो मेरे जैसे छोटे से कार्यकर्ता को लोकसभा का टिकट मिलना भी संभव हो सकता है। हमारे गांव में 60-65 ही घर थे। मेरा या मेरे परिवार को कोई भी राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा है, इसके बाद भी मुझे लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। इसके लिए मैं केंद्रीय नेतृत्व का आभारी हूं। मुझे बस्तर की संस्कृति को लेकर काम करने का मौका मिला 1996 से। मैं अपनी भूमिका को गिलहरी की भांति मानता हूं।

▶बस्तर के लिए धर्मांतरण ज्यादा बड़ा मुद्दा है या फिर नक्सलवाद?

▶बस्तर के लिए बहुत से मुद्दे हैं। धर्मांतरण का मुद्दा मेरा नहीं है, यह जनता का मुद्दा है। नक्सलवाद तो बहुत बड़ा मुद्दा है। नक्सलवाद के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार 60 साल देश में शासन करने में वाली कांग्रेस पार्टी है। 60 के दशक में बस्तर में नक्सलवाद पनपा। इससे बस्तर का ही नुकसान हो रहा है।

▶ राज्य गृह मंत्री विजय शर्मा कहते हैं नक्सलियों से बात करेंगे, क्या नक्सली बात करने लायक है?

▶ बात करने का प्रयास पहले भी भाजपा सरकार में किया गया था, अब भी नक्सलियों से बात करने का प्रयास है। अगर बात नहीं हुई तो जैसे भी होगा, नक्सलवाद को समाप्त करने का काम हमारी सरकार करेगी। हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कह दिया है, चाहे कुछ भी करना पड़े नक्सलवाद को समाप्त करेंगे।

▶बस्तर से मुख्यमंत्री न बनना कितना बड़ा विषय बनेगा? विष्णुदेव साय का मुख्यमंत्री बनना कितनी मदद देगा और कितनी परेशानी?

▶ छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में जिनको मुख्यमंत्री कहा जाता है, वो नकली आदिवासी थे। अब जाकर पहली बार वास्तव में कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बना है। मुख्यमंत्री चाहे सरगुजा का हो, इससे फर्क नहीं पड़ता है, वे आदिवासी वर्ग के हैं। आने वाले समय में भाजपा बस्तर से भी किसी नेता को बड़ा नेतृत्व देगी।

▶ बस्तर को नेतृत्व मिलेगा, कहने का मतलब है कि क्या साय पांच साल मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे?

▶ मेरे कहने का यह मतलब नहीं है। आने वाले समय में फिर पांच साल में चुनाव होगा, तब बस्तर को जरूर नेतृत्व करने का मौका मिलेगा। हमारी पार्टी कांग्रेस की तरह नहीं है जो ढाई-ढाई साल की बात करेंगे। कांग्रेस ने को ढाई- ढाई साल की बात करके उसको पूरा भी नहीं किया।

▶ किरण देव का अध्यक्ष बनना बस्तर में भाजपा के पक्ष में कितनी हवा बना पाएगा?

▶ किरण देव बस्तर क्षेत्र के हैं। वे विधायक भी हैं। उनके अध्यक्ष रहने का भाजपा को बहुत फायदा मिलेगा।

▶ कांग्रेस पार्टी के बारे में बताएं, दीपक बैज को लेकर क्या कहना है?

▶ कांग्रेस पार्टी का यह अपना अंदरूनी मामला है, कि वो किसको अध्यक्ष बनाएं और किसको चुनाव लड़ाएंगे। बस्तर ने दीपक बैज को एक बार सांसद और दो बार विधायक बनने का मौका दिया है। लेकिन पिछले साल विधानसभा के चुनाव में हमारे मंडल अध्यक्ष ने दीपक बैज का चुनाव में हराने का काम किया है। कांग्रेस अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पा रही है। कांग्रेस मुक्त भारत का सपना बस्तर में साकार होने जा रहा है, बस्तर कांग्रेस मुक्त हो जाएगा।

▶ दीपक बैज के चुनाव लड़ने से आसानी होगा या लखमा के प्रत्याशी बनने से?

▶ यहां से कोई भी चुनाव लड़ ले, चाहे राहुल गांधी हो या फिर भूपेश बघेल। आज हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से भाजपा की ही जीत होगी। अब की बार 400 पार का नारा है और इस बार 400 पार का नारा पूरा होगा। कांग्रेस का कोई भी बस्तर से चुनाव लड़े हमको कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।

▶ पिछले लोकसभा चुनाव में भी मोदी ही थे, फिर क्यों हार गए थे भाजपा के प्रत्याशी?

▶ उस समय की स्थिति अलग थी, तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, झूठे वादे करके जनता को गुमराह कर दिया गया था। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महतारी वंदन योजना में साल भर में 12 हजार देने का वादा किया, कांग्रेस ने इसको 15 हजार कर दिया। धान की कीमत भाजपा ने 31 सौ की, कांग्रेस ने 32 सौ कर दी, लेकिन जनता ने कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया। अब जनता कांग्रेस के किसी भी वादे पर भरोसा नहीं करती है, इसलिए इस बार बस्तर में जीत तो भाजपा की ही होगी।

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