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सवारी जीप के नाम पर दो-दो जिले की सड़कों पर मौत दौड़ रही है। पुलिस और आरटीओ अफसरों के संरक्षण के बिना यह संभव नहीं है। 

एनिश पुरी गोस्वामी- मोहला। कहते हैं कि, जो अपनी गलतियों से सीखता नहीं वह दोबारा अवश्य गड्ढे में गिरता है। छत्तीसगढ़ में भी संभवत: प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने अपनी गलतियों से सबक ना लेने की ठान रखी है। 

अभी पिछले महीने ही कवर्धा जिले में एक मालवाहक का ब्रेक फेल होने से 19 आदिवासियों की जान चली गई। लेकिन लगता है कि यहां प्रशासन को जागने के लिए 19 जानें काफी नहीं है। संभवत: इससे भी बड़े हादसे का इंतजार प्रशासन को है। मोहला-मानपुर और बालोद जिले के बीच दौड़ रहे ये पुराने जीप हर पल हादसे को न्योता दे रहे हैं। लेकिन इन्हें लोगों की जान से खिलवाड़ करने की खुली छूट मिली हुई है। 

जर्जर जीप पर सवार दर्जनों लोग

ये दशकों पुराने जीप बालोद जिले के दल्ली राजहरा से मोहला-मानपुर- अंबागढ़ चौकी जिले के गोटा टोला तक दो-दो जिलों का सफर कर रोजाना यमदूतों को न्योता दे रहे हैं। पुलिस, परिवहन विभाग के संरक्षण के बीच ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं। कंडम पुरानी जीप, ना ही इंश्योरेंस है और ना ही फिटनेस का कोई माई बाप। सवारी जीपों की जैसी तस्वीरें सामने आई हैं वो भयावह हैं। 

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जीप की सामने सीट पर भी इतने सवारी हैं चालक भी बाहर लटका दिख रहा है 

जीप के बाहर लटक रही हैं 11 महिलाएं

जीप के बाहर 11 महिलाएं लटक रही हैं। 5 एक दिशा में चार पीछे और दो महिलाएं दूसरी दिशा में। जीप की छत पर करीब 8 पुरुष बैठे हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल है। अंदर पता नहीं कितनी सवारी है। चालक भी जीप के बाहर लटक कर गाड़ी चला रहा है। भीतर कम से कम समान सहित 15 से 16 सवारी ठूंस दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ में रोजाना बड़े सड़क हादसे हो रहे हैं, इसके बाद भी ना प्रशासन सुधारने का नाम ले रहा है और ना ही इस तरह के जीप संचालक।

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