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इस गांव में सांप और ग्रामीणों के बीच गजब का रिश्ता है। यहां का कोई भी व्यक्ति सांप को नहीं मारता और सांप ने भी आज तक किसी व्यक्ति को नहीं काटा है। 

डागेश यादव-आरंग। आमतौर पर सांप का नाम ही डराने के लिए काफी होता है। अगर सामने सांप आ जाए तो क्या हालत होती है बताने की जरूरत नहीं। लेकिन छत्तीसगढ़ के एक गांव में सांपों और लोगों के बीच गजब रिश्ता देखने को मिलता है। यह रायपुर जिले का डिघारी गांव है। इस गांव में कोई भी शख्स किसी सांप को नहीं मारता। वहीं, गांववाले बताते हैं कि, आज तक इस गांव में किसी भी व्यक्ति को सांप ने नहीं काटा है, जबकि गांव के आसपास बड़ी संख्या में सांप रहते हैं। 

गांव में है नागों का मंदिर

करीब 1500 की आबादी वाले इस गांव में नाग मंदिर है। इसकी स्थापना 2008 में की गई थी। यहां के लोगों का सांपों के प्रति विशेष आस्था है। यहां पर नागपंचमी के दिन विशाल मेला लगता है। कहा जाता है कि, इस मंदिर में आने पर सांपों का काटा व्यक्ति भी ठीक हो जाता है। वहीं उसे आगे भी कोई सांप नहीं काटता।

सदियों पहले ब्राह्मण को आया था सपना

सांपों और लोगों के इस रिश्ते को लेकर एक किवदंती है। लोग बताते हैं कि, सदियों पहले यहां एक ब्राह्मण परिवार रहता था। उसके सपने में एक सांप आया, सांप के मुंह में कांटा लगा हुआ था और वह दर्द से तड़प रहा था। सांप ने ब्राह्मण से मदद मांगी। ब्राह्मण जब अगले दिन सोकर उठा तो सचमुच में उसका सामना सपने वाले सांप से हो गया। ब्राह्मण ने सांप के मुंह से कांटा निकाल दिया वह भी अपना हाथ डालकर। इसके बाद नागराज ने वरदान दिया कि, डिघारी की सीमारेखा के अंदर कोई भी सांप किसी व्यक्ति को नहीं काटेगा। अब अगर कोई सांप गांव में आ जाता है तो लोग उसे पकड़कर सीमा के बाहर छोड़ आते हैं।

हर साल नाग पंचमी पर होते हैं आयोजन 

इस वर्ष भी नाग पंचमी के अवसर पर आज ग्राम डिघारी में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक कथा पूजा का आयोजन किया गया है। इसके बाद 12 बजे से 3 बजे तक खिलेश यादव और दिनेश वर्मा का सांस्कृतिक कार्यक्रम 3 बजे से 6 बजे तक दाई के दुलार रामायण टोली (कन्हरपुरी), 6 बजे से 10 बजे तक जय दुर्गा पंडवानी और भरथरी का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

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