रायपुर। जंगल सफारी में दो माह पूर्व 17 चौसिंगा की मौत होने के बाद बैक डेट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हस्ताक्षर करने वाले वन्यजीव चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा के खिलाफ पांच वर्ष पूर्व जंगल सफारी में चार बाघ शावकों की मौत के मामले में दस्तावेजों में कूट रचना करने के आरोप प्रमाणित हो चुके हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई करने आरोप पत्र भी तैयार कर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ कार्यालय को भेजा जा चुका है, बावजूद इसके दोषी चिकित्सक के खिलाफ अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि, जंगल सफारी में वसुधा नामक बाघिन के चार शावकों की 6 जून 2018 की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। तब सफारी में चार शावकों की मौत के मामले को हरिभूमि ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। खबर प्रकाशन के बाद वन मुख्यालय ने गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए थे। पांच साल तक चली जांच के बाद डॉक्टर के खिलाफ पुनरक्षित आरोप पत्र पिछले वर्ष अप्रैल में मुख्यालय में भेजा गया है। आरोप पत्र में डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की गई है। बावजूद इसके डॉक्टर के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं की गई।
डॉक्टर के खिलाफ मनमानी करने का आरोप
सफारी के मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डॉ. वर्मा के खिलाफ मनमानी करने के आरोप लगते रहे हैं। इसका उल्लेख पूर्व की जांच रिपोर्ट में भी सामने आया है। डॉ. वर्मा पर आरोप है कि वे वन्यजीवों के सैंपल परीक्षण के लिए ऐसे संस्थानों को भेज देते थे, जहां परीक्षण की व्यवस्था ही नहीं है।
चौसिंगा की मौत रोकी जा सकती थी
जानकारों के मुताबिक यदि डॉक्टर सतर्कता बरतते, तो जंगल सफारी में जिन 17 चौसिंगा की मौत हुई है, उसे रोका या कम किया जा सकता था। चौसिंगा में बीमारी के लक्षण दिखने पर उनका तत्काल उपचार किया जाना था, साथ ही बीमार चौसिंगा को अन्य स्वस्थ्य चौसिंगा से अलग कर आइसोलेटेड बाड़े में रख सकते थे। 17 चौसिंगा की मौत के बाद अन्य चौसिंगा को आइसोलेटेड किया गया।
सफेदा लगाकर पाप छिपाने की कोशिश
गौरतलब है कि डॉक्टर वर्मा 20 अगस्त 2018 से 4 सितंबर तक 16 दिनों के लिए अवकाश लेकर छुट्टी पर चले गए थे, परंतु वापस आने के बाद 26 अगस्त और 31 अगस्त को सिंहनी वसुधा की डेली रिपोर्ट में प्रिसक्रप्शन और गर्भधारण की संभावनाओं को लिखा, जबकि उस अवधि में डॉक्टर वर्मा अवकाश पर थे। बाद में अपने हस्ताक्षर पर सफेदा लगा दिया। इस संबंध में रिपोर्ट में उल्लेखित किया है कि अर्जित अवकाश में रहते हुए डॉक्टर वर्मा ने सरकारी दस्तावेज में छेड़खानी कर अफसरों को दिगभ्रमित करने का प्रयास किया है। सीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने वर्ष 2019 को डॉ. वर्मा को जंगल सफारी से उनके मूल विभाग में भेजने की अनुसंशा की थी। बावजूद इसके डॉ. वर्मा के खिलाफ अब तक किसी प्रकार से कोई कार्रवाई नहीं की गई।