रायपुर। नेशनल एंटी फ्राड यूनिट से मिले फाल्स क्लेम ट्रिगर के आधार पर प्रदेश के निजी अस्पतालों में स्टेट नोडल एजेंसी छापामार टीम की कार्रवाई जारी है। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के बाद रायगढ़ धमतरी सहित कुछ अन्य जिलों में छापेमारी की खबर है। जांच के दौरान यहां भी आयुष्मान योजना की आड़ में धांधली किए जाने का पता चला है जिस पर कार्रवाई की तैयारी है। पिछले दिनों राज्यसभा में यह जानकारी सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ में इस योजना की आड़ में 122 करोड़ का घोटाला हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एंटी फ्राड युनिट द्वारा रायपुर समेत विभिन्न जिलों में निशुल्क स्वास्थ्य योजना के नाम पर होने वाली गड़बड़ी का लेखा-जोखा सवास्थ्य विभाग को भेजा गया है। जिस पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ है और पिछले पखवाड़े भर से छापेमारी की जा रही है। 

पिछले दिनों तीन जिलों के 23 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसके बाद शुक्रवार को छापामार टीम के कुछ अन्य जिलों में पहुंचकर जांच करने का पता चला है। इस कार्रवाई में गड़बड़ी तो पकड़ी जा रही है साथ ही निजी अस्पतालों में भी हड़कंप मचा हुआ है। राज्यसभा में दी गई जानकारी चौंकाने वाली हैं कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सहायता योजना में मरीजों का इलाज करने के नाम पर गड़बड़ी योजना में मरीजों का इलाज करने के नाम पर गड़बड़ी करने में दूसरे नंबर पर है। निजी अस्पतालों में योजना के हितग्राहियों से अतिरिक्त पैसे लेने, दूसरी बीमारी का पैकेज ब्लॉक करने, योजना में मरीजों की फर्जी एंट्री करने जैसी गड़बड़ी आमतौर पर की जाती है। 

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पक्ष रखने का अवसर मिले 

निजी अस्पतालों पर हो रही कार्रवाई के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन तथा हास्पिटल बोर्ड की गुरुवार को बैठक हुई। हास्पिटल बोर्ड अध्यक्ष डा. सुरेन्द्र शुक्ला ने कहा कि कार्रवाई के पहले आरोप पर संबंधित अस्पताल को पक्ष रखने का वक्त देना चाहिए। योजना में गड़बड़ी का संगठन भी विरोध करता है मगर जांच के नाम पर निर्दोष अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई किया जाना गलत है।

डायरेक्टर बोलीं-फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं, कार्रवाई करेंगे 

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला ने कहा कि शासन की राशि का सही उपयोग और हितग्राहियों को उचित उपचार मिलना चाहिए। स्टेट नोडल एजेंसी इसके लिए अस्पतालों की सतत निगरानी कर रही है। नेशनल फ्राड युनिट से मिले फाल्स क्लेम ट्रिगर के आधार पर अस्पतालों की जांच की जा रही है और गड़बड़ी साबित होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। लापरवाही ही गंभीरता और आने वाले नियमित क्लेम के आधार पर उन्हें योजना से निलंबित करने और चेतावनी जारी की जा रही है।

सभी का इलाज संभव नहीं 

हास्पिटल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता ने कहा कि सालो पुराने पैकेज के आधार पर सभी वर्ग के हितग्राहियों का इलाज किया जाना संभव नहीं है। इसे बारे में कई बार शासन का ध्यान आकृष्ठ किया गया है मगर अब तक संशोधन के लिए किसी तरह के कदम नहीं उठाए गए हैं। शासन को चाहिए कि वह योजना में निर्धारित पैकेज का रिवाइज करे अथवा निजी अस्पतालों को योजना से अलग कर दे।