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बस्तर में तैनात फोर्स एक्शन मोड में है। बड़े नक्सल नेता के 90 फीट ऊंचे स्मारक को ध्वस्त किया गया।

राजेश दास-जगदलपुर। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक नक्सलवाद के सफाए के एलान के बाद बस्तर में तैनात फोर्स एक्शन मोड में है। एक तरफ नक्सलियों को मुठभेड़ में ढेर किया जा रहा है और दूसरी ओर नक्सलियों के आधार इलाकों में नए पुलिस कैम्प खोलकर नक्सलियों द्वारा मारे गए साथियों की याद में बनाए गए नक्सल स्मारकों को भी जमींदोज किया जा रहा है। चार दिन पहले ही बड़े नक्सल नेता के 90 फीट ऊंचे स्मारक को ध्वस्त किया गया। बीते कुछ वर्षों की बात करें तो बस्तर संभाग के अलग अलग जिलों में बनाए गए 300 से ज्यादा स्मारकों को तोड़ा जा चुका है।

नक्सलियों द्वारा विशेष अवसरों पर अपने साथियों की याद में अपने आधार क्षेत्र के गांवों व जंगलों में स्मारक बनाया जाता रहा है। अब फोर्स उनके आधार इलाकों में घुसकर एक ओर जहां मुठभेड़ में नक्सलियों को मार रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी यादों को भी समाप्त कर रहे हैं। आकंड़ों की बात करें तो बीते कुछ वर्षों में 300 से अधिक छोटे बड़े स्मारकों को जवान विस्फोट कर व बुलडोजर की मदद से जमीदोंज कर चुके हैं। नक्सल कैलेंडर के मुताबिक नक्सली वर्ष में 6 बार विभिन्न आयोजन करते हैं जिसमें मारे गए साथियों की याद में स्मारक बनाकर उन्हें याद किया जाता है। इस दौरान आस पास के गावों के सैकड़ों ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया जाता है और नक्सलियों की सीएनएन टीम द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुती दी जाती है। इसके पीछे नक्सलियों की मंशा यह होती है कि इलाके के लोगों में संगठन की मजबूती को दिखाना और नए युवाओं को प्रभावित कर संगठन में शामिल करना होता है। 

Naxalite leader memorial demolished by force

इलाके में ताकत दिखाने करते है स्मारक निर्माण

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि मुठभेड़ों में मारे गए साथियों की स्मृति में आधार क्षेत्रों के युवाओं में मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने व संगठन की मजबूती दिखाने स्मारक का निर्माण किया जाता है। फोर्स अब लगातार उनके आधार क्षेत्रों में घुसकर आपरेशन कर रही है और नक्सलियों को ढेर करते हुए उनकी यादों को भी जमींदोज कर रहे हैं। जल्द ही बस्तर से माओवादियों का सफाया कर शाति बहाल करने हम प्रयासरत हैं।

वर्ष में छह बार दिखाते हैं ताकत

नक्सल संगठन द्वारा वर्ष में छह बार विभिन्न आयोजनों के दौरान स्मारक तैयार किया जाता है और इलाके के लोगों को अपनी ताकत दिखाते हैं। नक्सल कैलेंडर के मुताबिक 22 अप्रेल को नक्सली लेनिन जन्मदिवस मनाते हैं। इसके बाद 5 से 11 जून तक जनपितुरी सप्ताह 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीद सप्ताह, 9 सितम्बर को माओ शहीद दिवस, 22 सितम्बर को सीपीआई (माओवादी) स्थापना दिवस व 2 से 8 दिसम्बर तक नक्सली पीएलजीए स्थापना दिवस मनाते है। इस दौरान संगठन में नए युवाओं व बच्चों को प्रोत्साहित कर संगठन में भर्ती करने के अलावा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर अपनी ताकत दिखाते है।

सबसे बड़े स्मारक को ब्लास्ट कर किया गया जमींदोज

नक्सली संगठन में शामिल बड़े कैडर के लिए बड़ा व छोटे कैडर के नक्सलियों की याद में छोटे स्मारक तैयार किया जाता है। चार दिन पूर्व भी नक्सलियों द्वारा बनाए गए सबसे बड़े स्मारक को ब्लॉस्ट कर जमींदोज किया गया। जानकारी के मुताबिक लगभग दो वर्ष पूर्व नक्सलियों ने 3 अगस्त 2021 को यहां 90 फीट उचां स्मारक व स्थायी मंच का निर्माण कराया था। यह मारक नक्सलियों के टॉप लीडर 50 लाख के ईनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर रामकृष्ण उर्फ आरके की याद में बनाया था। जिस समय स्मारक का निर्माण कराया गया था उस दौरान 500 से अधिक हथियारबंद नक्सलियों के अलावा हजारों की संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। नक्सलियों ने जिस जगह यह स्मारक बनाया था वह पामेड़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत सुकमा व बीजापुर जिले के अलावा छग व तेलगांना राज्य का सरहदी इलाका है, जहां शीर्ष नक्सलियों की उपस्थिति मौजूदगी देखी जाती रही है। यह इलाका नक्सलियों के पीएलजीए बटालियन नंबर एक का सेफ जोन माना जाता है। एक दिन पूर्व माओवादियों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करने व आम जनता को विकासात्मक कार्यों और मूलभूत सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इसी वाटेवागु में नया कैम्प खोला गया था जिसके बाद स्मारक व स्मारक में बने स्थायी मंच को विस्फोट कर जमींदोज कर दिया गया।

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