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छत्तीसगढ़ में हाली का त्यौहार शहरों के अलावा गांवों में भी परंपरागत ढंग से मनाया गया। नन्हे बच्चों की टालियों के साथ किशोरियों और महिलाओं ने भी जमकर रंग गुलाल उड़ाए। 

बेमेतरा। होली का पावन पर्व छत्तीसगढ़ के शहरों सहित गांवों में भी अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। इस त्यौहार की सबसे बड़ी बात यह है कि, शहर कमाने गए अधिकांश लोग भी इसी त्यौहार में अपने गांव अपने घर आते हैं और अपने घर परिवार रिश्तेदारों के साथ जमकर होली मनाते है।

सुबह से ही नन्हे- नन्हे बच्चों की टोली दल बनाकर साथ मिल करके रंग गुलाल खेलने लगी। सुबह से बच्चे तरह-तरह के रंगो के गुलाल लेकर और पिचकारी लेकर, गुब्बारे में रंगीन पानी भरकर घरों से निकले। गली गली और चौक चौराहे में बच्चों की टोली रंग गुलाल खेलने लगी। छोटे-छोटे बच्चे अपने घरों में माता-पिता से लेकर के भैया, भाभी, बहन, सभी को रंगों से सराबोर करने लगी। 

Holi festival

दिखी संस्कृति की झलक

वह दृश्य बहुत ही प्यारा लगता है जब बच्चे बड़ों को रंग गुलाल लगाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। ये नन्हें बच्चे हमारी सुंदर संस्कृति का प्रदर्शन भी करते हैं। इस दौरान बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक का सबसे बड़ा त्यौहार होली ही है। रंगो का यह पावन त्यौहार सबके लिए खुशी, उत्साह और हर्षोल्लास व उमंग लेकर आता है। छोटे से लेकर के सभी वर्गों के लिए यह त्यौहार हंसी-खुशी का त्यौहार है। इस दौरान घरों में विविध तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिसका आनंद बच्चे से लेकर के सभी लेते हैं।

शाम का शुरू हुआ उपहार देने का सिलसिला

संध्या काल एक दूसरे के घरों में उपहार लेने और देने की प्रथा भी चलती है। जिसमें गांव की महिलाएं अपने परिचित, रिश्तेदार व मित्रों के घर उपहार लेकर जाती है और भोजन करके आती है। यह आपसी भाईचारा और रिश्तों को मजबूत करने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। जिसमें सभी लोग अपने गीले शिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और गले मिलते है। 

Holi festival

घर-घर में बने स्वादिस्ट छत्तीसगढ़िया पकवान

इस दिन हर घर स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। जिसमें मिर्ची भजिया, आलूबंडा, गुलगुल भजिया, चौसेला, नमकीन, कटवा, कुशली, खीर, पूड़ी बनाते है। कई घरों में इस दिन नवा खाई भी खाई जाती है। एवं अपने इष्ट देवों की पूजा की जाती है व नारियल चढ़ाया जाता है। इस तरह से रंगों का यह त्यौहार भाईचारा निभाते हुए, गीले शिकवे भूलकर अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शाम के समय चौक चौराहा में नगाड़ों की थाप के साथ होली में फाग के विविध गीत भी गाये। जिसमें बच्चे व बड़े खूब नृत्य किए। डंडा नृत्य वाले भी डंडा लेकर चौक चौराहे पर नृत्य किए।

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