भिलाई। छै आगर है कोरी यानी 126 तालाबों के नाम से प्रसिद्ध धमधा में तालाबों का अस्तित्व संकट में है। यहां के 30 सरकारी तालाबों को लोगों ने पाटकर खेत बना लिया है। शासन से इन्हें खाली कराने की गुहार लगाई गई है, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उल्टे स्थानीय नगर पंचायत प्रशासन का अमला नगर के अच्छे तालाबों में कूड़ा-कचरा डालकर उन्हें पाटने पर तुला राजधानी से 40 किलोमीटर दूर स्थित धमधा एक ऐतिहासिक नगर है, जहां कभी 126 तालाब थे। ये तालाब प्राचीनकाल में गोंडवाना शासन के समय से बनाए गए थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में इन तालाबों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है।
धर्मधाम गौरवगाथा समिति ने लोगों के साथ मिलकर इन 126 तालाबों का चिन्हांकन किया है, जिसमें से भू-राजस्व रिकार्ड में शासकीय रूप से दर्ज 30 तालाबों को कब्जामुक्त करने राज्य शासन जिलाधीश एवं जिला पंचायत सीईओ से मांग की गई है, परन्तु इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 126 तालाबों वाले इस गांव में अभी भी 70 तालाब ऐसे हैं, जहां बारिश के दिनों में पानी भरता है, लेकिन उनका रखरखाव नहीं किया जा रहा है। लोग इन तालाबों में अतिक्रमण करते जा रहे हैं, जिससे तालाब सिकुड़ते जा रहे हैं।
अवैध कब्जा कर पीएम आवास बनवा रहे
धमधा नगर के तालाबों के पार में लोग लगातार अवैध कब्जा करके झोपड़ी बना रहे हैं, वहां पीएम आवास स्वीकृत किया जा रहा है। नइया पारा के टार तालाब में पूरी अवैध कॉलोनी बन गई है। कुकुरचब्बा रोड में अवैध मकान बनते ही जा रहे है। मोतिमपुर रोड के दुदहा तालाब के पार में सामाजिक भवन के नाम पर लोग अपना निजी मकान बना रहे है, इस तालाब में भी सफाईकर्मी कचरा डाल रहे हैं।
बूढ़ा तालाब को शासकीय करने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में
महामाया मंदिर और राजा किला को चारों ओर से सुरक्षित करने वाले बूढ़ातालाब के चारों ओर पार में इमारतें तन गई हैं, जिससे 18 एकड़ के तालाब का ऐतिहासिक महत्व खत्म हो गया है. जबकि इसे गोंड़वाना आदिवासी राजाओं ने सुरक्षा के लिए बनवाया था। नगर पंचायत के अध्यक्ष परिषद ने बूढ़ा तालाब को शासकीय करने के लिए संकल्प पारित किया था, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
40 साल से खेत बन चुके 6 तालाब को दिया नया जीवन
धमधा के 126 तालाबों को बचाने की दिशा में कुछ अच्छे प्रयास भी हुए हैं, जिसके तहत नगरवासियों के साथ स्थानीय राजस्व अमला और नगर पंचायत ने छह तालाबों को कब्जामुक्त भी कराया, जिसे बाद में गहरीकरण करके तालाब का स्वरूप भी दिया गया। धर्मधाम गौरवगाथा समिति ने इनमें प्राचीन परंपरा के अनुसार इनमें सरई लकड़ी का काष्ठस्तंभ भी लगवाया। परन्तु एसडीएम बृजेश सिंह क्षेत्रीय का तबादला होने के बाद तालाबों को कब्जामुक्त करने की कार्रवाई बंद हो गई। अब नार अफसर और नगर पंचायत का अमला इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
नपं ही खुद पाट रहा धमधा के तालाबों को
धमधा के मुख्य बस स्टैंड के पीछे बड़ा तालाब है, जिसे देवनवा तालाब के नाम से जाना जाता है। इसके पार में नगर पंचायत के सफाई कर्मी लगातार कूड़ा-कचरा डाल रहे हैं। गंदगी और प्लास्टिक के अवशेष से पार को बड़ा किया जा रहा है। इतना ही नहीं शासकीय आईटीआई के सामने डोकरा तालाब के पार में अवैध चखना सेंटर खोल दिया गया है, जिसकी शिकायत कलेक्टर से की गई थी, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सौंदर्गीकरण के नाम पर सिकुड़ रहे तालाब
नगरीय निकायों से तालाबों के सौंदर्याकरण के लिए जो फंड जारी किया गया है, उससे तालाबों का उद्धार नहीं हो रहा। फंड मिलने के चाद नगर पंचायत जल्दीबाजी में रकम खर्च कर दी गई है। तालाब के सौंदर्गीकरण के लिए पहले न तो उसका सीमांकन कराया गया और न ही तालाब के अवैध कब्जे को हटाने के लिए प्रयास हुए। हाल ही में नगर पंचायत ने उज्जुखा तालाब, चौखड़िया तालाब और टार तालाब में सौंदयीकरण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन उनके पार में हुए अवैध कब्जों को नहीं हटाया गया, जिससे तालाब सिकुड़ते जा रहे हैं। उनके जलभराव की क्षमता कम होते जा रही है। तालाब के पार में बने अवैध मकान से सीवरेज और टायलेट से तालाब का पानी दूषित हो रहा है।