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बिलासपुर जिले के कांग्रेस भवन में दो कांग्रेस नेताओं के बीच गाली- गलौच हो गई थी। इस मामले में रविवार को पूर्व महापौर राजेश पांडेय ने इस घटना पर खेद जताया है।

संदीप करिहार- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर  जिले के कांग्रेस भवन में दो कांग्रेस नेताओं के बीच गाली- गलौच हो गई थी। इस मामले में रविवार को पूर्व महापौर राजेश पांडेय ने इस घटना पर खेद जताया है। पीसीसी महामंत्री सुबोध हरितवाल और राजेश पांडेय के बीच बैठक में ना बोलने को लेकर विवाद हुआ था। 

पूर्व महापौर राजेश पांडेय ने कहा कि, मेरे बात को गलत समझा गया, राम को रावण समझ लिया गया। जिसके कारण विवाद हुआ और इसके लिए मुझे खेद है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव नजदीक है और पार्टी के हित में मैं खेद प्रगट करता हूं। मेरे ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं है, कोई दूसरी पार्टी इस विवाद का राजनीतिक लाभ न उठा पाए। इसलिए मैं खेद प्रगट कर रहा हूं। मेरा पूरा जीवन कांग्रेस  की सेवा के लिए समर्पित है। पिछले पांच दशक से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। जनहित के लिए अपनी आवाज उठाते रहा हूं, आगे भी लड़ता रहूंगा। मैं पार्टी कार्यकर्ता और सच्चे सिपाही की हैसियत से खेद प्रगट कर रहा हूं।

नोटिस के बाद बैज के दरबार पहुंचे थे पूर्व महापौर 

इस मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सुबोध के साथ कांग्रेस भवन में विवाद को गंभीरता से  लिया और पीसीसी चीफ के इशारे पर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने बेमन से पूर्व महापौर राजेश पांडेय को कारण बताओ नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा। इतना ही नहीं नोटिस में साफ़ तौर पर जिला अध्यक्ष विजय पांडेय को चेतावनी दी थी कि, अगर जवाब संतोषप्रद नहीं मिला तो निलंबन/निष्कासन तक की कार्यवाही की जाएगी। वहीं राजेश पांडेय ने बढ़ते विवाद और मामले के भविष्य को पहले ही भांप लिया और जवाब देने के साथ ही रायपुर पहुंचकर पीसीसी चीफ के दरबार में हाजरी भी लगाई। इसके बाद मामले में क्या कुछ हुआ, उस पर कांग्रेस की चुप्पी बरक़रार है और कांग्रेसी नेता इस पर कुछ कहने से बच भी रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि, शहर अध्यक्ष की चेतावनी पर कहीं मुहर ना लग जाए और राजेश पांडेय को संगठन बाहर का रास्ता ना दिखा दे। शायद इस बाबत सुनामी से पहले कांग्रेस के भीतर सन्नाटा पसरा हुआ है। इसी बात को लेकर पिछले दो दिनों से कांग्रेस पार्टी तथा संगठन के नेताओं में कौतूहल मचा हुआ है और अनुशासनहीनता और दायरे के मामले में निष्कासन पर सस्पेंस बरक़रार है। 

पीसीसी चीफ के दरबार में हाजरी लगाने पर भी नहीं मिली राहत

बिलासपुर के वरिष्ठ कांग्रेसी सूत्रों की माने तो राजेश पांडेय नोटिस का जवाब लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज के दरबार पहुंच गए और अपने गलती पर अफ़सोस जताना चाह रहे थे। लेकिन दीपक बैज ने उनसे मिलने से ही इनकार कर दिया। लेकिन राजेश पांडेय के बार बार रिक्वेस्ट करने पर द्वारपालों ने चंद मिनटों की मुलाकात फाइनल कराई। इस पर भी शर्त रखी गई कि, आपको सिर्फ़ पीसीसी चीफ़ के आदेश को मानना और सुनना है। जब तक उनके आदेश और दिशा- निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, तब तक निष्कासन और नोटिस पर कोई विचार नहीं हो सकेगा। पूर्व महापौर राजेश पांडेय को विशेष निर्देश देने के साथ ही पीसीसी चीफ दीपक बैज अंदर चले गए और राजेश पांडेय की एक ना सुनी। इससे राजेश पांडेय काफ़ी मायूस हुए और वहां मौजूद लोगों ने पहली मर्तबा राजेश पांडेय को इतना बेबस और कमजोर देख बगलें झांकने लगे। वहीं कुछ देर तक अपने आप को राजेश पांडेय समझाते हुए बैठ गए कि, उनके साथ आखिर ये क्या हो रहा है और उनकी उम्र पर भी कांग्रेस तरस नहीं खा रही है। राजेश पांडेय पीसीसी चीफ को कहना चाह रहे थे कि, उनका पूरा जीवन कांग्रेस की सेवा और संघर्ष में निकल गया। ऐसे में भी एक अवसर ना देना दुख दे रहा है।

इधर पायलट के पास शिकायत लेकर दिल्ली पहुंचे हरितवाल

बिलासपुर कांग्रेस भवन में बीते 27 नवम्बर को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की रणनीति को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मैराथन बैठक लेने पहुंचे थे। इस बीच राजेश पांडेय पीसीसी चीफ के मौजूदगी में भी सुबोध से भिड़ गए और बैठक खत्म होने के बाद एक राउंड इन दोनों नेताओं में भी जमकर खुलेआम विवाद हुआ। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ। इस घटना की शिकायत सुबोध ने पीसीसी चीफ दीपक बैज से की, तो कांग्रेस ने जिला शहर अध्यक्ष के माध्यम से नोटिस दिलवाया। लेकिन इस नोटिस पर राजेश पांडेय को उनके अनुशासनहीनता पर कोई मुरव्वत और राहत ना मिल सकें। इसलिए सुबोध हरितवाल अपने अपमान का बदला लेने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट के पास दिल्ली में जाकर डेरा डाले हुए हैं। लिहाज़ा बिलासपुर में कांग्रेस नेताओं में विवाद का मामला अब दिल्ली के गलियारों में सुर्खियों में बना हुआ है। 

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किसके सम्मान को मिलेगा उचित स्थान

बहरहाल अब देखना होगा कि, इस घटना पर पूर्व महापौर एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश पांडेय की नोटिस पर सस्पेंस 24 घंटे बाद भी बरकरार है और उनके निष्कासन पर चल रही तकरार कब तक जारी रहेगी। लेकिन अब देखना होगा कि सम्मान की लड़ाई में किसके सम्मान को उचित स्थान मिलता है। लेकिन, इस घटना पर बिलासपुर, रायपुर के साथ ही दिल्ली तक के नेताओं की निगाह टिकी हुई है।

बंद लिफ़ाफ़े में आलाकमान को भेज दिया जवाब - पांडेय

इस संबंध में जिला शहर अध्यक्ष विजय पांडेय ने बताया कि, पूर्व महापौर राजेश पांडेय की ओर से समयावधि में नोटिस का जवाब मिला है। जिसे बंद लिफाफे में आलाकमान के पास भेज दिया गया है। जो निर्णय संगठन में लिया जाएगा, उसका पालन किया जाएगा।

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