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Bangladesh india rice import: बांग्लादेश ने खाद्य संकट से बचने के लिए भारत से 2 लाख टन चावल खरीदने का फैसला किया है। शुक्रवार को चावल की पहली खेप, जिसमें 27 हजार टन चावल शामिल था, चटगांव बंदरगाह पहुंची।

Bangladesh India rice import: बांग्लादेश ने भविष्य में खाद्य संकट से बचने के लिए भारत से 2 लाख टन चावल खरीदा है। शुक्रवार को चावल की पहली खेप, जिसमें 27 हजार टन चावल शामिल था, चटगांव बंदरगाह पहुंची। बांग्लादेश सरकार का कहना है कि इस समय चावल की कमी नहीं है, लेकिन हाल ही में आई भीषण बाढ़ के बाद संभावित संकट से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है।  

भारत से आयात बढ़ाने की योजना  
बांग्लादेश के एक खाद्य अधिकारी ने बताया कि अंतरिम सरकार ने भारत से 2 लाख टन उबला हुआ चावल खरीदने के साथ-साथ 1 लाख टन चावल टेंडर के माध्यम से आयात करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, सरकारी स्तर (G2G) पर चावल आयात की योजना भी बनाई जा रही है। अभी तक भारत से निजी स्तर पर 16 लाख टन चावल आयात करने की अनुमति भी दी जा चुकी है।  

दूसरे देशों से भी बढ़ रही साझेदारी  
भारत के अलावा बांग्लादेश ने म्यांमार के साथ 1 लाख टन चावल के लिए G2G समझौता किया है। वियतनाम और पाकिस्तान के साथ भी चावल आयात को लेकर बातचीत जारी है। चावल के दाम स्थिर रखने के लिए बांग्लादेश ने आयात पर सभी शुल्क हटा दिए हैं। भारत से चावल का बड़ा हिस्सा बिना आयात शुल्क के निजी स्तर पर मंगवाया जा रहा है।  

भारत-बांग्लादेश व्यापारिक संबंध बरकरार  
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद व्यापारिक संबंध मजबूत हैं। भारत के उच्चायुक्त प्रणय कुमार वर्मा ने कहा कि 5 अगस्त के उथल-पुथल भरे बदलावों के बावजूद भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ पूरी ईमानदारी से काम किया है। यह बयान दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाए रखने की भारत की इच्छा को दर्शाता है।  

हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले से बढ़ी कड़वाहट  
हाल के समय में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में खटास आई है। खासतौर पर हिंदू धार्मिक स्थलों और नेताओं पर बढ़ते हमलों ने हालात बिगाड़े हैं। धार्मिक नेता चिन्मय प्रभु को राजद्रोह के आरोप में जेल में रखा गया है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच तीखे बयानबाजी का सिलसिला भी जारी है।  

आरक्षण विरोधी आंदोलन से शुरू हुआ विवाद  
इस साल जून में बांग्लादेश हाई कोर्ट ने नौकरियों में 30% आरक्षण प्रणाली लागू की थी। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जाना था। इसके विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन शुरू किया, जो बाद में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग तक पहुंच गया। अगस्त में शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना की गई।  

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