अमित गुप्ता- रायगढ़। भाजपा से नगर निगम महापौर प्रत्याशी की टिकट फाइनल होने के बाद भी जीवर्धन चौहान अपने चाय स्टॉल पर चाय बनाने पहुंचे। इस तरह से उन्होंने अपनी सादगी और मेहनत की मिसाल पेश की। राजनीति में कदम रखने के बावजूद उनकी यह जमीन से जुड़ी हुई छवि लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जीवर्धन चौहान जो वर्षों से एक छोटे से चाय के स्टॉल पर मेहनत कर अपनी आजीविका चलाते आ रहे हैं। टिकट मिलने के बाद भी अपने काम को नहीं छोड़ा। उनका मानना है कि, काम ही उनकी पहचान है।
रायगढ़। महापौर प्रत्याशी का टिकट फाइनल होने के बाद भी चाय बना रहे जीवर्धन चौहान #raigarh #mayorcandidate #chhattisgarh pic.twitter.com/b1DmuWszHX
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) January 27, 2025
समर्पित होकर काम करने वालों का पार्टी में महत्व
जीवर्धन का नाम तय कर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि, तन-मन-धन से समर्पित होकर काम करने वाला व्यक्ति पार्टी के लिए सदा महत्व रखता है। कांग्रेस सदैव प्रधान मंत्री मोदी को चाय बेचने वाला बताकर उपहास उड़ाती रही है उसी चाय बेचने वाले की अदभुत कार्यशैली ने देश का नाम पूरे विश्व में स्थापित कर दिया। संगठन ने महापौर प्रत्याशी का चयन करने के दौरान बहुत से पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया।
चाय बेचने वाला आम आदमी की तकलीफों से होता है वाकिफ
पार्टी के लिए ढाई दशक खपाने वाले जीवर्धन ने अपने आवेदन में यह बताया कि, उसका जीवन यापन चाय बेचने से चलता है और चाय बेचते हुए जीवर्धन पार्टी का काम तन मन धन से समर्पित होकर करते रहे। संगठन ने इस बात को गंभीरता से लिया। एक चाय बेचने वाले को आम आदमी की तकलीफ अच्छे से मालूम होती है। जीवन भर चाय बेचना ही जीवर्धन को टिकट मिलने का आधार भी बना। एक चाय बेचने वाला अब रायगढ़ को विकास की नई ऊंचाइयों में लेकर जाएगा।