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डीके अस्पताल के चिकित्सकों ने आठ साल की बच्ची का सफल आपरेशन कर जान बचा ली है। खेल-खेल में बच्ची सेफ्टी पिन निगल गई थी। 

रायपुर। खेल-खेल में आठ साल की बच्ची सेफ्टी पिन निगल गई। खुला सेफ्टी पिन महीने भर बाद धीरे- धीरे उसकी आंत में जा फंसा और वह दर्द से कराहने लगी। जशपुर की इस बच्ची को प्राथमिक उपचार के बाद इलाज के लिए डीके अस्पताल लाया गया जहां डाक्टरों ने सर्जरी कर पिन बाहर निकाला। परिजनों ने चिकित्सकों को बताया था कि असावधानी वश बच्ची सेफ्टीपिन गटक गई थी। बताया जाता है कि जशपुर जिले के फरसाबहार में रहने वाली संध्या के माता-पिता को सेफ्टी पिन निगलने की जानकारी तब लगी जब बच्ची पेट में दर्द की शिकायत करने लगी और रो-रोकर उसका बुरा हाल होने लगा था। 

परिवार वाले उसे लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे तो जांच में पता चला कि खुला हुआ सेफ्टीपिन बच्ची की आंत में जाकर फंस गया जिसकी वजह से वह पीड़ा से कराह रही है। चिकित्सकों ने उसे इलाज के लिए किसी बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी थी। जनप्रतिनिधियों की मदद से संध्या को डीके अस्पताल लाया गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शिप्रा शर्मा के निर्देश पर पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. जीवन पटेल तथा एनीस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. लोकेश नेटी ने ऑपरेशन के माध्यम से सेफ्टी पिन को बाहर निकाला। थोड़ी दिन चिकित्सकों की निगरानी में रखने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सप्ताहभर रखा भूखा

चिकित्सकों ने बताया कि सेफ्टी पिन अंतड़ियों में जा फंसा था। खाद्य पदार्थ का सेवन करने से वह मलद्वार को नुकसान पहुंचा सकता था। बच्ची को सप्ताहभर तक भूखा रखकर ऑपरेशन किया गया। जांच के दौरान उसे स्टोन की समस्या का पता चला था जिसकी भी सर्जरी कर उसे राहत दी गई।

सावधानी जरूरी

उपअधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि, डीकेएस एकमात्र शासकीय अस्पताल के जहां बच्चों की एंडोस्कोपी की सुविधा है। सेफ्टीपिन की तरह के पूर्व में भी बच्चों द्वारा खेल-खेल में निगले गए सिक्के, स्कू बटन, बैटरी व ऑलपिन सर्जरी के माध्यम से बाहर निकाला गया है। छोटे बच्चों को विशेष निगरानी में रखना आवश्यक है। 

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