रायपुर। छत्तीसगढ़ में OBC आरक्षण को लेकर राजनीति गरमा गई है। विपक्ष लगातार भाजपा सरकार को OBC विरोधी कहकर टारगेट कर रही है। वहीं इस मामले में भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस कर पूरी विस्तृत जानकारी दी है। इस दौरान भाजपा ने आरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधानों का भी हवाला दिया। वहीं अब सिप्टी सीएम साव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि, कांग्रेस पार्टी हमेशा से आरक्षण और OBC विरोधी रही है। आरक्षण के मामले में भ्रम पैदा कर रही है।
अरुण साव ने कहा कि, राज्य सरकार ने जो आरक्षण की व्यवस्था की गई है वह पूर्णरूप से सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार हुई है। भाजपा सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का ज्यादा लाभ देने का प्रयास किया है। ज़िला पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी को आरक्षण का लाभ इसलिए नहीं मिल पाया। क्योंकि 16 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की वजह से ज़िला पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया।
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OBC वर्ग को पिछले बार से अधिक टिकट देंगे
कांग्रेस को बताना चाहिए कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट से वो ऊपर है? सभी वर्गों को संविधान सम्मत आरक्षण का लाभ दिया गया है हम जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए अनारक्षित सीटों से OBC को पिछले बार से अधिक टिकट देंगे। वहीं नेता प्रतिपक्ष महंत ने OBC आरक्षण वाले बयान पर साव ने पलटवार करते हुए कहा कि, ये नहीं चाहते कि, छत्तीसगढ़ में शांति रहे कानून व्यवस्था बनी रहे। इसलिए किसी न किसी मुद्दे पर बवाल करने की कोशिश में लगे रहते है। कांग्रेस भय,भ्रम और भ्रष्टाचार की राजनीति करती है।
झूठ की राजनीति करती है कांग्रेस- किरण देव
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि, हमने इस बात को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि अनारक्षित सीटों पर पिछड़े वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले की स्थिति बहाल रहेगी एवं पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आएगी। कांग्रेस केवल झूठ की राजनीति करती है, वह मुद्दों के अभाव से जूझ रही है राजनीतिक पतन की तरफ बढ़ रही है इसलिए केवल वर्ग संघर्ष की बात करना, प्रदेश में माहौल खराब करने का प्रयास करना, षड्यंत्र करना यही कांग्रेस का काम रह गया है।
आरक्षण संबंधी संवैधानिक प्रावधानों का दिया हवाला
डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि, देश के संसद में 73वां 74वां संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा सशक्त और जवाबदेह पंचायत एवं नगर पालिका बनाने का प्रावधान संविधान में किया गया। साथ ही एससी, एसटी और पिछड़े हुए नागरिकों के किसी भी वर्ग के पक्ष में आरक्षण के लिए उपबंध (प्रावधान) करने का अधिकार राज्य के विधान मंडल को दिया गया है। अनुच्छेद 243 (घ) में पंचायतों के स्थानों के 243(घ)(1) एससी, एसटी के आरक्षण का प्रावधान है। 243(घ)(2) में महिलाओं से संबंधित आरक्षण का प्रावधान और 243(घ)6 में पिछड़े हुए नागरिकों के लिए आरक्षण के संबंध में उपबंध है।
नगर पालिकाओं में आरक्षण से संबंधित प्रावधान
नगर पालिकाओं में आरक्षण से संबंधित प्रावधान में एससी और एसटी के लिए आरक्षण के उपबंध है। 243(न)(2) में महिलाओं के और 243 (न) (6) में कमजोर वर्गों से संबंधित आरक्षण के उपबंध है। वहीं नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में धारा (11) स्थानों में धारा (11) (1) में एससी और एसटी के लिए जबकि धारा (11) (2) में OBC के लिए आरक्षण का उपबंध करता है। धारा (11) (3) में महिलाओं के लिए, इसी प्रकार नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 29 (क) में स्थानों में आरक्षण से संबंधित उपबंध है। 29 (क)(1) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। 29 (क)(2) OBC से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। 29 (क)(3) में महिलाओं से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है।
अधिक आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13 में ग्राम पंचायत के गठन से संबंधित उपबंध है। जिसमें धारा 13 (4)(1) एससी और एसटी के लिए आरक्षण का उपबंध करता है। वहीं 13 (4)(2) OBC से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। जबकि 13 (4)(5) महिलाओं के लिए आरक्षण का उपबंध करता है। पंचायत एवं नगर पालिकाओं में OBC के लिए आरक्षण का प्रावधान इस प्रकार थे कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को मिलाकर 50% या इससे आरक्षण कम होने पर OBC को एकमुश्त 25%आरक्षण देने का प्रावधान था। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं OBC को मिलाकर कुल आरक्षण 50% से अधिक होने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बड़ा कोर्ट ने आरक्षण 50% तक सीमित करने और OBC को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट करने की अनिवार्यता प्रतिपादित किया।
OBC को 50% आरक्षण का प्रावधान
छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने OBC की वर्तमान सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक स्थिति का अध्ययन कर सुझाव राज्य शासन को प्रस्तुत किया। आयोग ने वर्तमान में पंचायत एवं स्थानीय निकायों में आरक्षण की एकमुश्त सीमा 25% को शिथिल कर OBC की जनसंख्या के अनुपात में 50% की सीमा तक आरक्षण का प्रावधान किया। पंचायत राज अधिनियम 1993, नगर पालिका निगम 1956 एवं नगर पालिका अधिनियम 1961 में सुसंगत धाराओं में संशोधन किया गया।
इस प्रकार हुआ है आरक्षण
ग्रामीण क्षेत्र में 33 में से 16 जिले अधिसूचित जिले है। राज्य में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12.72% है। उस अनुपात में 4 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई है। इस तरह से कुल 33 में से 20 सीटें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुई। जोकि 50% से अधिक है। इसलिए OBC के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का कोई पद आरक्षित नहीं हो पाई है। जबकि जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत सदस्य, सरपंच, पंच के पदों में OBC के लिए नियमानुसार पद आरक्षित हुए है।