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मार्कफेड के एमडी के कार्यकाल में मनोज सोनी ने राइस मिलरों से अवैध वसूली करने एक संगठित प्रणाली विकसित की थी।

रायपुर। मार्कफेड और  नान के एमडी रहे मनोज सोनी की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने एक बयान जारी किया है। ईडी द्वारा जारी बयान के मुताबिक मनोज सोनी सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे और अक्टूबर, 2022 से अक्टूबर, 2023 तक राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात थे।अपने पद पर रहते हुए मनोज सोनी ने राइस मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए डीओ जारी करने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर राइस मिल एसोसिएशन के साथ साठ-गांठ कर घोटाले को अंजाम दिया है।

ईडी द्वारा जारी बयान के मुताबिक,  मार्कफेड के एमडी के कार्यकाल में मनोज सोनी ने राइस मिलरों से अवैध वसूली करने एक संगठित प्रणाली विकसित की थी। ईडी ने आईटी के इन्वेस्टिगेशन विंग द्वारा दायर अभियोजन शिकायत के खुलासे के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ लिमिटेड (मार्कफेड) के अधिकारियों के साथ मिलीभगत की और दुरुपयोग की साजिश रची। विशेष प्रोत्साहन और करोड़ों रुपये की रिश्वत अर्जित की।

प्रति क्विंटल 60 रुपए तक कमीशन

खरीफ वर्ष 2021-22 में कस्टम मिलिंग करने पर राइस मिलरों को 40 रुपए प्रति क्विंटल राज्य सरकार भुगतान करती थी। इसके बाद कस्टम मिलिंग की राशि तीन गुना कर 120 रुपए कर दिया गया। कस्टम मिलिंग की दर बढ़ाए जाने के बाद मनोज सोनी ने राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर कस्टम मिलिंग के लिए डीओ जारी कराने कैश में कमीशन लेने का ईडी ने आरोप लगाया है। आरोप है कि कस्टम मिलिंग की दर जब 40 रुपए थी, तब मनोज सोनी एसोसिएशन के साथ मिलकर कैश में 20 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन लेता था। दर बढ़ने के बाद कस्टम मिलिंग में प्रति क्विंटल 60 रुपए कमीशन लिया गया। इस तरह से मनोज सोनी ने राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर सौ करोड़ रुपए क्यूल किए।

 

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