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Exclusive : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील मनोहर गावस्कर से हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की विशेष बातचीत । यहां देखें वीडियो-

रायपुर। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील मनोहर गावस्कर का कहना है, रिटायरमेंट के बाद सत्य साईं हॉस्पिटल के साथ जुड़ने का मौका मिला। यह मेरे लिए ब्लेसिंग है, इसे मैं तीसरी पारी कहता हूं, पहली पारी तो क्रिकेटर के नाते थी। दूसरी पारी बिजनेसमैन मीडिया पर्सन की थी और यह मेरी तीसरी पारी है। मेरे लिए जो यह तीसरी पारी है वह सबसे फुलफिल हैं। छोटे बच्चे, जो दिल के मरीज हैं। ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर्स बाहर आकर परिजनों को ऑपरेशन सक्सेसफुल होने की बात कहते हैं, तो ये देखकर इतनी खुशी मिलती है, वो काफी सुकून देता है। यह कहना है श्री गावस्कर का। 

श्री रामजन्म भूमि क्षेत्र अयोध्या में चल रहे सत्य साईं संजीवनी शिविर में देशभर से आए श्रद्धालुओं का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। गत दिवस भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और संस्थान के ट्रस्टी सुनील गावस्कर ने सत्य साईं संजीवनी का जायजा लिया। इस दौरान संस्थान के अध्यक्ष सी श्रीनिवास और आईएनएच हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी भी मौजूद रहे... सुनील गावस्कर ने संस्थान और सत्य साईं बाबा को लेकर डॉ. हिमांशु के साथ अपने अनुभव साझा किए। प्रस्तुत है उसके अंश-

सवाल - सत्य साईं सेवा संस्थान से जुड़ने का क्या अनुभव रहा आपका ?

जवाब - सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यह बुलावा आता है। मैं पिछले कुछ महीने से चाह रहा था कि रामलील का दर्शन करने आऊं, पर मौका मिल नहीं रहा था। लेकिन यह बुलावा आया का तो मैंने देखा है उससे में पूरी तरह से धन्य हो गया हूं। क्योंकि जो दिल में तमन्ना होती है कि राम लला का दर्शन करे, तो दर्शन करने का आज जो मौका मिला है। मैं कह सकता हूं कि यह मेरे लिए ब्लेसिंग है। मैं भगवान के आशीर्वाद से उत्साहित हूं। सत्य साईं संजीवनी हॉस्पिटल जिस तरह की सर्विसेज दे रहे हैं, बहुत बेहतरीन है, इससे मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं इस संस्था से जुड़ा हूं।

सवाल - सुनील गावस्कर और सत्य साईं का क्या कनेक्शन है, खेल से जुड़े सुनील गावस्कर का धर्म से मेल कैसे हुआ?

जवाब - यह मेल कैसे हुआ, यह तो सिर्फ भगवान ही जानते हैं। जैसे मैंने अभी-अभी बताया कि जो बुलावा होता है, यहां पर आने के लिए दर्शन करने के लिए अचानक कोई नहीं आ सकता और अचानक आएंगे तो आपको दर्शन भी नहीं मिलेगा। सत्य साई बाबा का आशीर्वाद हमारे सिर पर है, पहले दिन से है। हमारे परिवार में सभी सत्य साईं की पूजा करते हैं।

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सवाल - आपकी सत्य साईं बाबा को लेकर आस्था है, आपके जीवन में कुछ अनुभूति हुई है, उन अनुभूतियों को आप साझा करेंगे?

जवाब - 1978 में जब पहली बार मैं चेन्नई में उनसे मिला तो दूर से ही देख पाया था, गुडप्पा विश्वनाथ भी साथ थे, वेस्टइंडीज के कप्तान एल्विन कालीचरण भी साथ गए थे पहली बार देखा तो लगा कि वे हवा में चलकर आ रहे हैं यहीं से उनसे लगाव बन गया... जब हम लौटते समय एक ही गाड़ी से जा रहे थे तभी विश्वनाथ ने कहा कि कल का मैच हम जीतेंगे। इसके बाद हमने देखा कि विश्वनाथ ने जो पारी खेली जिस तरह की बालिंग हुई और भारत ने जीत हासिल की।

सवाल - जब आप पहली बार मिले थे तो आपको लगा था कि यह शख्स मेरे जीवन में इतना महत्वपूर्ण हो जाएगा और इसकी कृपा मुझ पर इस तरह से बरसती रहेगी ?

जवाब - जैसे-जैसे समय बढ़ते गया मुझे एहसास होते गया कि उनका हाथ मेरे सर पर है और मेरी फैमिली पर भी है। उनका आशीर्वाद उनके ब्लेसिंग मेरी फैमिली के साथ है। वह महसूस हुआ रिटायरमेंट के बाद जब सत्य साई हॉस्पिटल के साथ जुड़ने का मौका मिला। यह मेरे लिए ब्लेसिंग है इसे मैं तीसरी पारी कहता हूं पहली पारी तो क्रिकेटर के नाते थी। दूसरी पारी बिजनेसमैन मीडिया पर्सन की थी और यह मेरी तीसरी पारी है। मेरे लिए जो यह तीसरी पारी है वह सबसे फुलफिल है, इसमें जो छोटे बच्चे हैं जो दिल के मरीज है। ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर्स बाहर आकर परिजनों को ऑपरेशन सक्सेसफुल होने की बात कहते है तो ये देखकर इतनी खुशी मिलती है वो काफी सुकून देती है।

सवाल - ऐसा आपको क्या दिखा जिससे आप उन्हें इंसान मानने के लिए तैयार नहीं हुए ?

जवाब - यह कहना कठिन है पर यह दिल और दिल का जोड़ है, और मुझे लगता है कि जिस तरह से उनको देखा। जिस तरह की उन्होंने मेरिक्ल्स किए, मेरी फिटनेस के बारे में, मेरी इंजुरी के बारे में, जिस तरह से उनकी भभूति ने जो मॉडर्न दवाई या काम नहीं कर पाई वो उनकी भभूति ने किया। मेरे लिए इसीलिए वो भगवान है। मैंने कभी दबाव नहीं डाला कि आप उन्हें भगवान माने ये मेरी अपनी सोच है। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह मौका मिला अवसर मिला कि सत्य साईं बाबा के कुछ साथ समय बिताने का मौका मिला। साई संजीवनी के जरिए सेवा का मौका मिला।

सवाल - क्रिकेट के मैदान में जितना व्यस्त थे, उतने ज्यादा हमने महसूस किया कि क्रिकेट की पारी समाप्त होने के बाद एक कमेंटेटर के तौर पर, एक स्पोर्ट्स ऑर्गनाइजर के तौर पर, इसके बीच में आप कहां समाज सेवा के फेर में पड़ गए ?

जवाब - मैंने जो कहा यह तीसरी पारी है, जिसमें बड़ी फुल फीलिंग है जो आनंद मिलता है। जो पेरेंट्स है उनके चेहरे पर जो आनंद होता है कि जब अस्पताल से सर्जरी के बाद डॉक्टर आकर कहते हैं कि अब बस सर्जरी सक्सेसफुल हुई।

सवाल - ये अवसर आपको कैसे मिला ?

जवाब - यह अवसर जब से मैंने देखा था कि उन्होंने पहले ही उनका अस्पताल बना था, तब पूरी फ्री सर्विसेज थी वहां पर हार्ट सर्जरी करें, कोई भी सर्जरी करें, कोई भी दवाई बिल्कुल फ्री थी, यह सेवा करने में जो आनंद मिलता है वह कहीं नहीं मिलता।

सवाल - आप जब रायपुर में आए थे तो सुनील सुनील गावस्कर ने सोचा था कि वो संस्थान इतना बड़ा स्वरूप ले लेगा इतने हजारों बच्चों की जिंदगी बचाने का केंद्र रायपुर का इस केंद्र हो जाएगा उसके बाद पूरे देश और दुनिया में सेंटर खुलेगा आपको यकीन था कि चलो एक अस्पताल बन रहा है मेरा भी इसमें थोड़ा सा योगदान हो जाएगा ?

जवाब - मैं जानता हूं कि कि जो सत्य साईं की डायरेक्टर हैं वो एक अस्पताल से संतुष्ट होने वाले नहीं है। क्योंकि वह जानते थे कि यह जो सेवा कर रहे है वहां और भी बड़ा काम होना है। तो बहुत लोगों ने सपोर्ट किया, 100 करने के लिए पहला रन तो लेना पड़ता है और रायपुर का अस्पताल पहला रन था।

चंपत राय से बातचीत 

सवाल- श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में सत्य सेवा साईं संस्थान ने लाखों श्रद्धालुओं की चिकित्सा सेवा के लिए जो प्रयास किए हैं इस संदर्भ में आप क्या सोचते हैं ?

जवाब- अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का दृश्य कैसा होगा, इस पर हम लोगों ने अप्रैल 2023 से चिंतन शुरू किया था। प्रारंभ में 62 लोग इकट्ठे बैठे थे, 15 दिन में एक बार और धीरे-धीरे संख्या 30 तक हो गई। सब अनुभवी लोग ऐसा सोच रहे थे कि यहां बड़ी भारी समस्या आएगी, जब देश के दूर दराज से लोग दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचेंगे, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के रहने खाने के साथ- साथ इलाज और मेडिकल सुविधाओं की भी परेशानी आएगी। यह हमारे चिंतन का एक विषय बन गया। अयोध्या के सरकारी अस्पताल की बेड क्षमता भी 1200 मरीजों की है। मेडिकल कॉलेज भी यहां से सात किलोमीटर दूर है। हर एक मरीज को मेडिकल कॉलेज नहीं भेजा जा सकता। इसी कड़ी में सत्य साई संजीवनी से संपर्क हुआ और उन्होंने कारसेवक पुरम में अपना चिकित्सा केंद्र स्थापित किया। उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 100 डॉक्टरों की टीम अयोध्या भेजी। इस तरह प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देने का काम शुरु हुआ। यहां दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाएं संतोषप्रद हैं।

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