श्यामकिशोर शर्मा- नवापारा-राजिम। सैकड़ों गांव के लोगों के लिए वरदान साबित होने वाले 50 बिस्तर सरकारी अस्पताल के वरिष्ठतम चिकित्सक डॉ. एके शर्मा शुक्रवार 31 मई को सेवानिवृत्त हो गए। उनके सेवानिवृत्त होने पर अस्पताल स्टाफ ने विदाई समारोह का आयोजन किया। इस दौरान पूरा स्टाफ मौजूद रहा। 

बता दें कि, डॉ. शर्मा पांच साल पहले सूरजपुर से स्थानांतरित होकर यहां आए। यहां उनका कार्यकाल अच्छा रहा। व्यवहारिक रूप से लोकप्रिय डॉ. शर्मा ने किसी भी मरीज को निराश नहीं किया। 10 कदम आगे बढ़कर सेवा की भावना लिए उन्होने अपने कर्तव्य का पालन किया। आज वे जब सेवानिवृत्त हुए तो उनके स्टाफ ने इन्हीं सब बातों को अपने भाषण के दौरान सामने रखा। स्टाफ के प्रेम और स्नेह को देखते हुए डॉ शर्मा अपने आपको रोक नहीं पाए। उन्होने कहा कि सेवानिवृत्त जरूर हुआ हूं मगर हर हमेशा जब भी मुझे याद करेंगे, मेरे लिए कोई सेवा की बात होगी मै जरूर हाजिर होऊंगा। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन रामअवतार यदु ने किया।

डाक्टर बेटा-बहू भी मौजूद रहे, नर्स मां का डाक्टर बेटा भी रहा मंचासीन

विदाई समारोह में खास बात यह नजर आया कि डॉ. शर्मा के साथ उनके बेटे डॉ. आयुष शर्मा और बहू डॉ. श्वेता शुक्ला भी मंच पर मौजूद थे। इस शहर के लिए गौरवपूर्ण बात यह भी रहा कि नवापारा के सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत प्रमिला साहू के बेटे डॉ. तेजेंद्र साहू भी मंच पर विराजमान थे। जबकि मां दर्शक दीर्घा में बैठी हुई बेटे को इस ओहदे पर देखकर मुस्कुरा रही थी। वे अपने बेटे डॉ तेजेंद्र साहू के अंडर में काम कर रही हैं। यहां के एक और कर्मचारी अशोक साहू संयोगवश आज ही सेवानिवृत्त हुए, उनका भी सम्मान किया गया। 

  अस्पताल स्टाफ

मेरे लिए सच में डाक्टर भगवान का रूप : शर्मा

कार्यक्रम में अस्पताल स्टॉफ ने हरिभूमि के ब्यूरोचीफ श्यामकिशोर शर्मा और युवा पत्रकार बिशेसर हिरवानी को भी विशेष रूप से सम्मानित करने आमंत्रित किया था। इस अवसर पर श्री शर्मा ने कहा कि डॉ. भगवान का दूसरा रूप होता है। आज मै यदि खड़ा हूं तो डॉक्टरों की इसमें बड़ी भूमिका है। 25 अगस्त 2005 को नवापारा से लगे कुर्रा गांव के पास हुए सड़क हादसे में पैर और हाथ फ्रेक्चर हो गए थे। इस अस्पताल में कार्यरत तत्कालीन डॉक्टरों ने तत्परता के साथ प्राथमिक इलाज किया और रायपुर के लिए रिफर किया।

शर्मा ने सुनाई हास्पिटल की दो कहानियां

श्री शर्मा ने इस अस्पताल की दो घटनाओं का भी जिक्र किया। जिसमें भेण्डरी गांव की एक महिला के पेट में डिलीवरी के वक्त बच्चा फंस गया था और कपालफोड़ी गांव की एक महिला का एक बच्चा होने के बाद उनका इस अस्पताल में और डिलीवरी कराया गया जिसमें दो बच्चे और हुए। इन दोनो महिलाओं को रात में श्री शर्मा ने इस अस्पताल में डॉक्टरों से अनुरोध कर भर्ती कराया था। देर रात डॉक्टरों ने बड़ी तत्परता के साथ सफल डिलीवरी कराई और दूसरे दिन डिस्चार्ज भी कर दिया। 

विदाई समारोह में ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद इस अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक डॉ तेजेंद्र साहू ने स्वागत भाषण  देते हुए डॉ शर्मा और कर्मचारी श्री साहू की तारीफ करते हुए उनके कार्यो का बखान किया। उपस्थित स्टॉफ ने डॉ शर्मा एवं श्री साहू का शाल श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉ. श्रृंगी कश्यप, डॉ. प्रज्ञा बिलोने, डॉ. श्वेता पाण्डेय, डॉ. आयुष शर्मा, अनिता शर्मा, यशोदा देवांगन, एस.पी. देवांगन, एल.पी. तारक, मुकेश साहू, लता यदु, यशवंत सिन्हा ,नितेश कुंभकार, एफ.आर. साहू, एम.एस.पाल, एस.आर. देवानाथ, मीरा मन्ना, महेन्द्र साहू, चित्रलेखा वर्मा, दीपक गुप्ता, गिरधारी ध्रुव, देवकी साहू, पुनरवसु मढ़रिया, लोकेश पारकर, तुलेश्वरी साहू, मनीषा वर्मा, चमेली सिंह, टिकेश्वरी बघेल, खशबूरानी साहू, डिपम्ल विनायक, प्रियंका साहू, रेणुका साहू, संतोषी बंजारे, प्रमिला साहू, सविता सरकार, लता साहू, प्रदीप यादव, लोक कल्याणी साहू, सरोजनी पटेल, कुंवर सिंह ध्रुव, सत्यानंद साहू, कुलदीपक चन्द्राकर, महेन्द्र दीवान, संदीप साहू, रवि, चांदनी, चित्ररेखा, गायत्री, बिमला, पियूष, कमल बघेल आदि कर्मचारीगण उपस्थित थे।