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प्रदेशभर के कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं। 500 से ज्यादा स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है, यहां के बच्चे जुगाड़ के भरोसे हैं। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों के लिए नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। राज्य में सरकारी प्राथमिक शालाओं की संख्या 30 हजार 776 है, लेकिन इनमें से तकरीबन 11 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां अहाता (बाउंड्री वाल) ही नहीं है। यही नहीं, पूरे प्रदेश में साढ़े चार हजार से अधिक ऐसे स्कूल भवन हैं, जो जर्जर हो चुके हैं। खास बात ये है कि ये सभी सरकारी स्कूल शहरों से लेकर गांवों में हैं, वहां पढ़ने वाले बच्चों में अधिकतर गरीब वर्गों के हैं। जानकर ताज्जुब होगा कि 500 से ज्यादा स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है, यहां के बच्चे जुगाड़ के भरोसे हैं। ऐसी हालत बरसों से हैं, यही वजह है कि सरकार शिक्षा विभाग में ही इंजीनियरिंग शाखा की स्थापना कर रही है।

छत्तीसगढ़ में स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, लेकिन इन मंदिरों में जाने वाले प्राइमरी के छोटे-छोटे बच्चे किस हाल में पढ़ रहे होंगे, इसका अंदाजा स्कूलों की हालत को देखकर लगाया जा सकता है। स्कूलों की हालत से संबंधित मामला विधानसभा के सत्र में भी उठाया गया था। उस समय सरकार की ओर से ये भी कहा गया कि वर्तमान में किसी भी स्कूल के लिए नए भवन और अहाता निर्माण प्रस्तावित नहीं है। इसका मतलब ये है कि नए सत्र की शुरुआत पुराने जर्जर और अहाता विहीन स्कूलों से हो रही है।

बीजापुर में बिना भवन के 147 स्कूल

 राज्य के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में कुल 714 प्रायइरी स्कूल हैं। इनमें से 147 भवन विहीन है। 109 के भवन जर्जर हो चुके हैं और 345 स्कूलों में अहाता नहीं है। दूसरी ओर राजधानी रायपुर में सरकारी प्राइमरी स्कूलों की संख्या 749 है। यहां भी एक स्कूल बिना भवन के चलता है। 149 स्कूल भवन जर्जर हैं और 21 स्कूलों में अहाता नहीं है।

साढ़े चार हजार स्कूल भवन जर्जर

छत्तीसगढ़ में सरकारी प्राइमरी स्कूलों की एक और बदहाल सूरत ये भी है कि प्रदेशभर में 4 हजार 595 स्कूलों के भवन जर्जर हैं। यानी ये भवन बरसों पहले बनाए गए होंगे। जो अब तक खस्ताहाल हो चुके हैं, लेकिन इनकी रिपेयरिंग नहीं हो पाने के कारण ये स्कूल भवन जर्जर हो गए हैं। जाहिर है, इन स्कूलों में बच्चों और वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों के सिर पर हर समय खतरा मंडरा रहा होगा। रायगढ़ जिले में 1419 सरकारी प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से 984 स्कूल भवन जर्जर हैं। नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में 20 स्कूल भवन विहीन और 375 शाला भवन जर्जर हालत में हैं।

साढ़े पांच सौ से ज्यादा स्कूल भवन विहीन

राज्य में सरकारी प्राइमरी स्कूलों की बदहाल हालत की एक तस्वीर ये भी है कि प्रदेश में 519 स्कूल ऐसे हैं, जो भवन विहीन है। इस जानकारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भवन विहीन स्कूलों के बच्चे कहां बैठकर पढ़ते होंगे। कई बार गांवों से तस्वीरें आती हैं कि बच्चे किसी पेड़ के नीचे बैठे हैं और गुरुजी उन्हें पढ़ा रहे हैं। इसी तरह कुछ जगहों पर पंचायत भवन के बरामदे में या अन्य किसी जगह पर स्कूल चलाया जा रहा है। स्कूलों की भवनहीनता और जर्जरता का मामला सामने आने के बाद सरकार की ओर से कहा गया था कि, अब स्कूल शिक्षा विभाग खुद इंजीनियरिंग शाखा बनाकर उसके माध्यम से स्कूलों की रिपेयरिंग और निर्माण कराएगा। इससे पहले यह काम दूसरी सरकारी एजेंसिया करती थीं, लेकिन अभी इंजीनियरिंग शाखा की स्थापना का भी अता-पता नहीं है।

 

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