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बस्तर की जीवनदायिनी इन्द्रावती नदी इस समय खतरे में है। सूखी इन्द्रावती की रेतीली जमीन पर बच्चे और युवा क्रिकेट और वॉलीबॉल खेल रहे हैं।

सुरेश रावल - जगदलपुर। बस्तर की जीवनदायिनी इन्द्रावती नदी इस समय खतरे में है। हालत यह है कि सूखी इन्द्रावती की रेतीली जमीन पर बच्चे और युवा क्रिकेट और वॉलीबॉल खेल रहे हैं। ओडिशा से निकली इन्द्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए हमेशा से जीवनदायिनी रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा मे हमेशा से अलग-अलग दल की सरकार होने से इन्द्रावती जल संकट का समाधान अविभाजित मध्यप्रदेश के  समय से लगभग पांच दशक बाद भी नहीं सुलझ पाया है। नदी के पानी का ज्यादा हिस्सा ओडिशा इस्तेमाल कर रहा है। जो हिस्सा बस्तर पहुंचता है, वह भी इस गर्मी सूख चुका है, जिसके कारण ग्रीष्मकालीन फसलें तो बरबाद हुई ही हैं, पीने के पानी का संकट भी खड़ा हो गया है। 

हरिभूमि ने संभाग मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर ओडिशा सीमा के गांव चांदली से लगे इन्द्रावती और जोरा नाला संगम स्थल का जायजा लिया, जहां ओडिशा क्षेत्र के नदी के दोनों ओर मक्का, गन्ना, साग सब्जियों की फसल लहलहा रही हैं। वहीं नगरनार से लगे बस्तर के कई गांव के किसान इन्द्रावती नदी में जल स्तर गिरने से अपनी नुकसान होते फसल को देखकर चिंतित हैं। इंद्रावती बचाव संषर्घ समिति के अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप ने बताया कि, अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप ने बताया कि बस्तर और तोकापाल ब्लॉक के सबसे ज्यादा प्रभावित गांव में चोकर, मरलेंगा, नारायणपाल, आड़ावाल, भोंड, लामकेर, नदीसागर, बोड़नपाल, कोंडालूर, छिंदबहार, तोतर, काठसरगीपाल, मरकापाल, टिकराधनोरा, घाटधनोरा और तारागांव हैं। भोंड एनीकट के पास के घाटधनोरा में इंद्रावती नदी के सूखने से बच्चे और युवा क्रिकेट खेल रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि,  आज की स्थिति में 80 फीसदी फसल जल चुकी है और इन गांव के ग्रामीणों और पशुओं को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। किसी तरह हैंडपंप और डबरी से पानी का जुगाड़ कर काम चला रहे हैं। हैंडपंप में भी जलस्तर नीचे चला का जुगाड़ कर काम चला रहे हैं। हैंडपंप में भी जलस्तर नीचे चला गया है। हमने जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप से कहा है कि ओडिशा के खातीगुड़ा डैम से पानी छोड़ने पर गांव में नाली बनाकर पानी इकट्ठा करेंगे और उपयोग करेंगे, लेकिन इस पर भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई हुई है। वहीं कुम्हरावंड में 2-3 गेट से पानी छोडा गया था, उसे भी बंद कर दिया गया है। इसलिए समस्याग्रस्त गांव में कहीं भी इंद्रावती नदी में पानी नहीं है।

खास बातें 

■ नदी सूखने से फसल बर्बाद, पशुओं तक को नहीं मिल रहा पानी
 ■ हैंडपंप से और डबरी से पानी लेकर भोजन और नहाने की जुगाड़ कर रहे ग्रामीण 
■ बस्तर में सूखे की स्थिति, वहीं ओडिशा में लहलहा रही है फसल

इंद्रावती नदी की स्थिति जोरा नाला से भी दयनीय 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश चंद्र सेठी के समय ओडिशा सरकार के साथ वहां कि मुख्यमंत्री नंदिनी सतपथी के बीच करार हुआ था। गैर मानसून सीजन में दोनों राज्यों को 50-50 प्रतिशत पानी का बंटवारा पर निर्णय लिए गये थे, लेकिन जल समझौते के शर्तों का हमेशा से ओडिशा सरकार ने अनदेखी की। यही कारण है कि 1972 में हुए करार का नुकसान आज भी छत्तीसगढ़ को हो रहा है, जबकि ओडिशा सरकार इन्द्रावती नदी पर कई बड़े डैम बनाकर जल का अधिक से अधिक उपयोग कर रहा है। आज इन्द्रावती नदी की स्थिति जोरा नाला से भी दयनीय है। जोरा नाला में लबालब पानी होने से वहां के किसान मालामाल हो रहे हैं और बस्तर में इन्द्रावती के सूखने से किसानों की हालत कंगाली जैसे हो गई है। प्रकृति बचाओ और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अभियान के लोगों का कहना है कि बस्तर के नेता और राज्य सरकार के नुमाइंदे चुप्पी साधे रहे और ओडिशा ने इन्द्रावती को हाईजेक कर लिया।

तीनों जगह पहली बार भाजपा की सरकार होने से उम्मीद बढ़ी 

ऐसा पहली बार दिख रहा है कि छत्तीसगढ़ ओडिशा के साथ-साथ केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। इसलिए बस्तर किसान संघर्ष समिति को यह उम्मीद है कि यह समय इन्द्रावती को बचाने का सबसे शानदार मौका है। ओडिशा सरकार ने अपने फायदे के लिए कई डैम बनाकर किसानों को मालामाल कर दिया, अब छत्तीसगढ़ सरकार और बस्तर के भाजपा के बड़े नेताओं की बारी है। बड़े चकवा ग्रांम पंचायत के उप सरपंच युवा नेता पूरन सिंह कश्यप ने कहा कि सांसद महेश कश्यप वन और जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप तथा जगदलपुर विधायक एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव तीनों बस्तर के ताकतवर पदों में है। वे बस्तर में इन्द्रावती की वर्तमान भयावह स्थिति से वाकिफ है। ऐसे में इस गर्मी के सीजन में इन्द्रावती नदी जल संकट का निराकरण अति आवश्यक है। इन नेताओं को भुवनेश्वर और दिल्ली की दौड़ लगाकर हर तरह के प्रयास करनी चाहिए।

किसानों के साथ पूरे बस्तर की समस्या है 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव ने बताया कि, वास्तव में इन्द्रावती नदी के सूखने से नदी किनारे रहने वाले गांव के किसान और ग्रामीण फसल के बर्बाद होने से चिंतित है। सरकार और पार्टी इन्द्रावती जल संकट को लेकर गम्भीर है। इस समस्या के निराकरण के लिए हर स्तर पर पहल की जाएगी। यह समस्या केवल किसानों की नहीं बल्कि पूरे बस्तरवासियों की है, क्योंकि फसल के साथ-साथ पेयजल व्यवस्था भी इन्द्रावती पर निर्भर है। 

 

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