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बारनवापारा अभ्यारण्य में बाघ की निगरानी की जा रही है। जगह-जगह ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं और टाइगर सेल भी गठित की गई है। 

कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में पिछले 4 महीने से विचरण कर रहे बाघ को यह अभ्यारण्य संभवत: अब रास आ रहा है। बार क्षेत्र में उनके संवर्धन और संरक्षण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी डीएफओ मयंक अग्रवाल ने साझा की। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यशाला यह जानकारी दी गई।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए मयंक अग्रवाल ने कहा कि, अभी मुख्य चुनौती बाघ को मानव द्वंद से बचाना है।  बाघ के ने अभी तक 4 मवेशियों का शिकार किया है। अगर किसी किसान की पशुहानि होती है तो विभाग की तरफ से उसे तत्काल मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि, बाघ के लिए पर्याप्त खाना उपलब्ध है इसलिए वह लगातर क्षेत्र में मौजूद है। बाघ के मल से जो सैंपल लिए गए है उनमें जंगली सुअर के भी अंश मिले हैं। 

जगह-जगह पर लगाए गए ट्रैप कैमरा 

डब्ल्यू डब्ल्यू एफ और एनटीसीए गाइड के अनुसार उनकी ट्रेकिंग के लिए पूरे क्षेत्र को अलग-अलग जोन में बांटकर ढाई सौ से अधिक ट्रैप कैमरा लगाया गया है। ट्रैप कैमरे के जरिए न केवल बाघ की फोटो बल्कि अन्य जानवरों के भी फोटो भी ट्रैप हुए हैं। गोपनीयता और गाईडृलाईन को ध्यान में रखते हुए यह सारे काम किए जा रहे हैं। इस दौरान भविष्य में टूरिज्म सर्किट की संभावनाओं को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। 

स्पेशल टीम कर रही बाघ की निगरानी 

बारनवापारा अभ्यारण्य में बाघ निगरानी के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर टाइगर सेल का भी गठन कर अलग से कार्यालय स्थापित किया गया है। बाघ की सुरक्षा के लिए निरंतर आवश्यकतानुसार बाघ विशेषज्ञों और उच्चाधिकारियों से सतत मार्गदर्शन लिया जा रहा है।

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