रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय स्थित कृषि मंडपम में छ. ग. कंवर समाज युवा प्रभाग, रायपुर महानगर द्वारा आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत- करमा तिहार 2024 कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, हमारी संस्कृति हमारे पूर्वजों की देन है। प्रगति के साथ-साथ आदिवासी संस्कृति का संरक्षण भी जरूरी है। मुख्यमंत्री ने पारम्परिक विधान से पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, यह बहुत खुशी बात है कि कंवर समाज के युवाओं ने राजधानी रायपुर में करमा तिहार का शुभारंभ किया है। यह एक बहुत अच्छी परंपरा की शुरआत है। सीएम साय करमा तिहार के उल्लास में शामिल होने से खुद को रोक नहीं पाए और मांदर पर थाप देते हुए 'हाय रे सरगुजा नाचे' गीत पर जमकर झूमे।
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— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) September 15, 2024
अच्छे घर और वर की कामना करती हैं बेटियां
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, आज करमा तिहार मनाया जा रहा है। आदिवासी संस्कृति में कई तरह के करमा तिहार मनाए जाते हैं। आज एकादशी का करमा तिहार है। आज का त्योहार हमारी कुंवारी बेटियों का त्योहार है। इस करमा पर्व को मनाने का उद्देश्य है कि, हमारी बेटियों को अच्छा वर और अच्छा घर मिले। भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करके बेटियां अच्छे वर और अच्छे घर की कामना करती हैं। इसके बाद दशहरा करमा का त्योहार भी आता है, जिसमें शादी के बाद पहली बार जब बेटी मायके आती है तो वह उपवास रहकर विजयादशमी का पर्व मनाती है। बेटे-बेटियों के लंबे जीवन की कामना के साथ जियुत पुत्रिका करमा मनाया जाता है। यह एक बहुत कठिन व्रत होता है, जिसमें माताएं चौबीस घण्टे बिना अन्न-जल ग्रहण किए इस करमा पर्व को मनाती हैं।
कृषि कार्य से भी जुड़ा है करमा पर्व
हमारी संस्कृति में कृषि कार्य से भी करमा पर्व जुड़ा है। एक त्योहार बाम्बा करमा भी होता है। बाम्बा एक प्रकार का कीट होता है जो धान के दाने में बीमारी पैदा करता है। इस करमा में नौजवान बेटे उपवास रहते हैं बाम्बा कीड़े को नदी में विसर्जित करते हैं। करमा तिहार प्रकृति से जुड़ा तिहार है। जब बारिश नहीं होती तब पानी कर्मा मनाया जाता है। इस पर्व में करमा पूजा करके बारिश के लिए प्रार्थना की जाती है। सीएम साय ने कहा कि, हर साल राजधानी रायपुर में करमा त्योहार मनाया जाना चाहिए।
हमें अपनी संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि, हमें आदिवासी संस्कृति को कभी भूलना नहीं है। हमें अपनी संस्कृति को जिंदा रखना है। ये नृत्य-गीत हमारे समाज को जोड़े रखते हैं। प्रगति के साथ हमें इसे बरकरार रखना है। ये बहुत गर्व का विषय है कि, आज आपका एक आदिवासी बेटा मुख्यमंत्री है। कल ही हमारी सरकार को बने नौ माह पूर्ण हुए हैं। इन नौ महीनों में काफी काम हुआ है। 21 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है। धान का मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल हम दे रहे हैं। दो साल का बकाया बोनस भी हमने दिया है। महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने 1 हज़ार रुपये माताओं-बहनों के खाते में दिया जा रहा है।
विभिन्न योजनाओं पर हो रहा काम
हमारे वनवासी भाइयों को हम तेंदूपत्ता की राशि प्रति मानक बोरा 4 हज़ार से बढ़ा कर 5500 रुपये दे रहे हैं। रामलला दर्शन योजना भी शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की भूमि है। बड़ी संख्या में राज्य से श्रद्धालु रामलला के दर्शन करने जा रहे हैं। पहली कैबिनेट में 18 लाख आवास की स्वीकृत दी गयी।
अब से हिन्दी में भी होगी मेडिकल की पढ़ाई
सीएम साय ने हिंदी दिवस के अवसर पर सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि, आज हमारी सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। इस साल से मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में भी होगी। जो विद्यार्थी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई करना चाहेंगे उनके लिए यह सुविधा होगी। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी जो हिंदी माध्यम से पढ़ते हैं, उन्हें इससे लाभ होगा। पढ़ाई से जुड़ी सारी बारीकियां उन्हें अच्छे से समझ आएंगी। इसकी सारी व्यवस्था सरकार करेगी। कई बड़े और विकसित देशों के बच्चे मातृभाषा में पढ़ाई करके सफल होते हैं। आज हम 18 भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा दे रहे हैं।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर पूर्व सांसद नंद कुमार साय, कंवर समाज के प्रदेश अध्यक्ष हरवंश सिंह मिरी, महासचिव नकुल चंद्रवंशी, टूकेश कंवर, तिमिरेन्दू शेखर सिंह कंवर सहित कंवर समाज से अनेक लोग मौजूद रहे।